Wednesday, August 10, 2011

क्या हूँ मै .......... ?



पन्नों   से   पूछती  हूँ  ,
कहाँ    हूँ    मै .......?

 अक्सर   तन्हाइयों    में   सोचती  हूँ ,
   क्या   हूँ    मै... ?

लगता   है    जैसे   पहचान    तो  बहुत   है ,
पर   पहचानता   कोई   नहीं .. !

 दुनिया   की   इस   भीड़   में   भी  ,
   तन्हा   हूँ  मैं    !

 तूफानी   हवाओं   के   साथ   ,
   ठिकानो   की    तलाश   है ....!

पतझड़    के   मौसम   में   भी   ,
     बहारो   की   आश   है  .

छलकती   मन   की   गागर   को  ,
    सबसे   छिपाऊ   मै .....!

कागज - कलम    उठाकर   ही  ,
 अपना   दिल   बहलाऊ   मैं..........!

शशि पुरवार 




 यह   कविता  समाचार   पत्रो   व   पत्रिकाओ   में   प्रकाशित   हो  चुकी  है   .
           कई   बार  ऐसा  होता  है  क़ि  हमारी   पहचान  तो बहुत  होती  है , पर  वास्तव   में   कोई   नहीं   पहचानता ......! 

6 comments:

  1. जब मन में भावनाएं अच्छी हों तो पहचान अपने आप बन जाती हैं।

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  2. Bahut sundar...It's very difficult to find oneself...

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  3. पन्नो से पूछती हूँ ,
    कहाँ हूँ मै .......?
    बहुत ही प्यार से...खूबसूरत रचना...

    ReplyDelete
  4. तूफानी हवाओं के साथ ,
    ठिकानो की तलाश है ....!

    पतझड़ के मौसम में भी ,
    बहारो की आश है .

    छलकती मन की गागर को ,
    सबसे छिपाऊ मै .....!

    कागज - कलम उठाकर ही ,
    अपना दिल बहलाऊ मै..........

    khoobsoorat,vaakai khoobsoorat ,geminians haar nahee maante main bakhoobee is baat ko jaantaa hoon .aakhir gemini hoon

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  5. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  6. बहुत खूबसूरत कविता शशि जी बधाई और शुभकामनाएं

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