Friday, March 30, 2012

हरसिंगार.....1

  
 
 
                          शिउली सौन्दर्य 
                         लतिका पे खिला 
                          गुच्छो में भरा 
                        पारिजात  लदा बदा

                     दुग्ध -उज्जवल शेफालिका
                     कोमल बासंती नाजुक अंग
                     शशि किरण में है बिखरा 
                    आच्छादित सौन्दर्य अपलक

                भीनी -भीनी मोहक सुगन्धित सुवास
                       रोम -रोम में समाये
                   मदमाती बयार इठलाये
                 निखरता शिवली का यौवन
                   अँखियो की प्यास बुझाए

                    होले-होले चुपके से
                   प्राजक्त रात्र में खिले
                    अंजुल भर -भर
                      हरसिंगार ,
                    झर -झर झरते
                धरा का नवल श्रृंगार करे   
                व  प्रकृति का उन्माद बढे   

                लजाती मोहिनी शेफाली
                मुस्काता चंचल बसंत
            प्राकृतिक सौन्दर्य की पराकाष्ठा
                   अप्रतिम अतुल्य
                    ईश्वरीय सृजन .
                       :_------शशि पुरवार

 

24 comments:

  1. बहुत सुन्दर!!!!!

    ये फूल तो हमारी कमजोरी हैं.....शायद हर कवि की होते होंगे....इनके ख़याल मात्र से मन में कविता घुमड़ने लगती हैं....

    मन खुश हुआ हरसिंगार के हर रंग से...सुन्दर शब्द संयोजन...
    सस्नेह.

    ReplyDelete
  2. हमारा कमेंट गया स्पाम में...खोजो भई खोजो..

    ReplyDelete
  3. बहुत ही बढ़िया



    सादर

    ReplyDelete
  4. Replies
    1. aap sabhi ka hradaye se shukriya , tushar ji , yashwant ji , anu ji , mahendra ji .

      Delete
  5. बहुत ही सुंदर महकती हुई रचना ,चारों तरफ हरसिंगार की खुशबू फ़ैल गयी ,शशि जी बहुत -बहुत धन्याद इतनी प्यारी रचना के लिए .....

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  7. बहुत बहुत बहुत प्यारी कविता

    बधाई

    ReplyDelete
  8. खुशबूओं से लबरेज और उनका मनमोहक खिलना उसपर गजब का लिखना कमाल हे शशि जी ! बधाई स्वीकार करें !

    ReplyDelete
  9. harsingar ki khushboo se mahakti ye post sundar hai.

    ReplyDelete
  10. हरसिंगार के हर रंग से मन खुश हुआ अति सुन्दर लिखा है

    ReplyDelete
  11. Adwitiya. Anupam. Aaj pehli baar aapko padha.

    Sukoon mila padh k.

    ReplyDelete
  12. कविता से वासंती महक आ रही है.

    खूबसूरत प्रस्तुति के लिये बहुत बधाई.

    ReplyDelete
  13. हरसिंगार की खुशबू बैचैन कर देती है ... बहुत ही मधुर मनमोहक फूल को इन पंक्तियों में कैद किया है ...

    ReplyDelete
  14. HR SINGAR KI RACHANA BAHUT HI SUNDAR LAGI WAH KYA KHOOB LIKHA HAI APNE SHASHI JI .....

    HR INGAR TO AK BAHUT GUNKARI AUSHADHI BHI HAI ....GATHIYA SE PEEDIT LOGO KE LIYE TO RAMBAN HAI.

    ReplyDelete
  15. Bahut hi sundar...I traveled back to my hindi literature days. Actually my mom reads a lot of hindi literature and she would have loved it!

    ReplyDelete
  16. behtarahen....shashi ji aapki har kavita ki tarah,sundar rachnatmak sabd! felt like in a garden of flowers! beautiful visual imagery of words.Thanks for sharing.

    ReplyDelete
  17. बहुत ही सुन्दर एवं सारगर्भित रचना । मेरे नए पोस्ट "अमृत लाल नागर" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  18. सुन्दर अभिव्यक्ति!!

    ReplyDelete



  19. लजाती मोहिनी शेफ़ाली
    मुस्काता चंचल बसंत
    प्राकृतिक सौंदर्य की पराकाष्ठा
    अप्रतिम अतुल्य
    ईश्वरीय सृजन !

    आहाऽऽहाऽऽऽ… ! इतना मनभावन चित्रण कुदरत की कारीगरी का !

    वाह वाह !
    शशि जी
    कमाल हैं आप भी !

    बहुत सुंदर कविता के लिए हृदय से आभार और बधाई !

    इससे पहले की जो एक-दो प्रविष्टियां पढ़ने से छूट गई थीं , अभी उनका भी रसास्वादन किया है …
    आपका लेखन उत्तरोतर प्रगति पथ पर अग्रसर हो , यही कामना है …

    *महावीर जयंती* और *हनुमान जयंती*
    की शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  20. bhavon aur shabdon se mahakta huaa sa geet hai
    badhai
    rachana

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com