Saturday, June 16, 2012

उड़े चिरैया


उड़े चिरैया
पंख फडफडाए
सूख रहे पात
भानू जलाए
जोहे है वाट
बदरा बुलाए...!

बहे न नीर
सूखे झरने ,तालाब
मचा हाहाकार
बंजर होते खेत
किसान बेहाल
फसल कैसे उगाये
घटाएँ जल्दी आ जाएँ ..!

तप रही भू
पवन भी जले
लू के थपेड़े
पंछी , प्राणी पे पड़े
सूखे कंठ
जल को तरसे
तके नभ ,
मेघ बुलाए..!

बदरा जल्दी आ जाए ...!
:_-शशि पुरवार

9 comments:

  1. बदरा जल्दी आ जाए.

    आपने ग्रीष्म से त्रसित जन की अति सुन्दर
    कसमसाहट अभिव्यक्त की है.

    शानदार प्रस्तुति के लिए आभार,शशि जी.

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर....

    आपका आना हुआ.....और बदरा बरस भी गए......
    :-)

    ReplyDelete
  3. sundar bhaavon se paripoorn rachnaa

    ReplyDelete
  4. बदरा जल्दी आ जाए,,,,

    बहुत बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,,,,,शशि जी,,,,

    RECENT POST ,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,.

    ReplyDelete
  5. बहुत ही बढ़िया

    सादर

    ReplyDelete
  6. "बदरा जल्दी आ जाए " बहुत ही खूबसूरत रचना...

    ReplyDelete
  7. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    *****************************************************************
    बेहतरीन रचना


    दंतैल हाथी से मुड़भेड़
    सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥


    ♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
    *****************************************************************
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**

    ReplyDelete
  8. 'बदरा' का खूबसूरत आह्वान ...

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com