Thursday, September 6, 2012

मेरे मन का अभिमन्यु ,


जीवन चक्र
कठिन है राहों की डगर
खिले हैं जो फूल, उन्हें
शूल का भी सहना होगा दर्द।
सुख का छोटा सा पल

बीत रहा है यूँ ,
वक़्त का पहिया
तेजी से घूमता हरपल .

दुःख से रीत जाते

सारे एहसास
निकल जाता है वक़्त
बिखरते है ख्वाब ,पर
कर्म की वेदी पर
नहीं हारता
मेरे मन का अभिमन्यु ,

आशा का छोटा सा दिया

जगमगाता है काली रात में
तम में भी रहता
रौशनी का बसेरा ,
वक़्त का होता पग -फेरा
हर रात के बाद है सबेरा
लिखना यूँ नया इतिहास
रौशन हो कलम से
रचे एहसास
एक नयी शुरुआत
सुनहरी किरणों का प्रकाश
नए शून्य की तलाश
एक नया आकाश .

-----शशि पुरवार

17 comments:

  1. मन का अभिमन्यु निरंतर ऐसी ही आशा का दिया जलाए रखे ... सुंदर प्रस्तुति

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  2. "हर रात के बाद है सबेरा
    लिखना है नया इतिहास
    रौशन हो कलम से
    लिखे एहसास
    एक नयी शुरुआत "

    यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं ।

    सादर

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  3. अभिमन्यु मरता दिखता है ... पर जो आवेश ह्रदय से उठता है , वह कहता है अभिमन्यु की जीत, अभिमन्यु की अमरता ...

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  4. आज 09/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर प्रभावी रचना...
    :-)

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  6. काश हमें भी आठवाँ द्वार तोड़ना भी आता।

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  7. Replies
    1. thank you so much yashwant ji aur hamen nayi purani halchal me shamil karne ka shukriya .

      rashmi ji , praveen ji ,saumya ji ,reena Ji ajay ji thank you so much :))

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  8. एक नया खुबसूरत आकाश ... अपना आकाश:)
    है न.
    बहुत प्यारी रचना..

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  9. रात के बाद सवेरा जरूर आता है ... म,अन में आशा का दीप जलते रहना जरूरी है .. अभिमन्यु अब निराश नहीं होगा ...
    सुन्दर काव्य सरिता ...

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  10. बहुत सुन्दर रचना शशि....
    आस से भरी...

    सस्नेह
    अनु

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  11. एक सुबह का आगाज़ है ये रचना ...बहुत खूब

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  12. वाह ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  13. बहुत अच्छे ...प्रेरक भाव

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  14. नई आशा का आकाश छाया है इस रचना में - प्रकाश बना रहे !

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