Thursday, November 29, 2012

अब कर दो विदा





अब कर दो विदा


जकड़ी हैं मान्यताएं


थोथले विचार
परंपरा के नाम पर 
आदमी लाचार
बेगारी का फंदा बन
रहा है जी का जंजाल,
ऐसे फरमानों को
अब कर दो विदा .

इर्ष्या के कीड़ों से

कलुषित हुआ मन
बदले की आग में
सुलग रहा है तन
साखर में पगा हुआ है
धूर्त का संसार
ऐसे मेहमानों को
अब कर दो विदा

जब सोया है जमीर ,तो

कैसे उच्च विचार
चील,कौए सा युद्ध है 
छिछोरा आचार
शैवाल सा बढ़ रहा है 
काला व्यापार
ऐसे धनवानों को
अब कर दो विदा

---------शशि पुरवार

16 comments:

  1. सार्थक रचना शशि जी !
    पढ़े आपकी रचना.... दुनिया की खुले आँख...
    ऐसे विचारों का हार्दिक आभार.... :)
    ~सादर !!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. tahe dil se abhar anita ji aapka .


      MUJHE FACEBOOK PAR MILI MANCH PAR PRATIKRIYAE BHI SANJO KAR RAKH RAHI HOON , SABHI MITRO KA TAHE DIL SE ABHAR

      #
      Neel Singh जकड़ी है मान्यताएं
      थोथले है विचार
      परंपरा के नाम पे
      आदमी लाचार
      बेगारी का फंदा...See More
      20 hours ago · Unlike · 1
      #
      अलका गुप्ता बहुत सुन्दर ........अभिव्यक्ति ......वाह
      20 hours ago · Unlike · 1
      #
      Chidanand Shukla अब कर दो विदा

      जकड़ी है मान्यताएं
      थोथले है विचार
      परंपरा के नाम पे...See More
      20 hours ago · Unlike · 1
      #
      Kavi Atul Jain Surana BAhut SUndar... Sundar Bhav...
      19 hours ago · Unlike · 1
      #
      Ramesh Pant sundar abhivyakti . umda soch ko charitartha karti hue rachna ke liye bahot bahot badhai aapko.
      19 hours ago · Unlike · 1
      #
      Satyam Upadhyay waah kyaa bat hai bahut khoob Shashi Purwar ji badhaai
      18 hours ago · Unlike · 1

      Ramesh Meena अति उत्तम भाव...नि:संदेह हमेँ खोखली परंपराओँ को विदा कर देना चाहिए...अच्छे विषय वस्तु को शब्दोँ मेँ बाँधा है । बधाई ...शशि पुरवार जी...
      18 hours ago via mobile · Unlike · 1
      #
      कवि राज बुँदॆली अच्छे विषय वस्तु को शब्दोँ मेँ बाँधा है । बधाई ...शशि पुरवार जी...
      18 hours ago · Unlike · 2
      #
      Govind Hankla bahut umda tareeke se kahee gayee kavita! badhai !
      17 hours ago · Unlike · 1
      #
      Dinesh Pant Bahut Khoob
      16 hours ago · Unlike · 1
      #
      Vishwajeet Sapan वाह .. उम्दा .. एक सुन्दर रचना .. शिल्प में कसावट और उचित सन्देश देती हुई रचना .. बहुत सुन्दर कहन .. बधाई आपको .. सादर नमन
      16 hours ago · Unlike · 1
      #
      Sia Kumar सोया हो जमीर ,तो
      कैसे उच्च विचार
      चील,कौए सा युद्ध
      छिछोरा आचार
      शैवाल सा बढ़ता...See More
      16 hours ago · Unlike · 1
      #
      Sunita Agarwal bahut hi sundarta se bayan kiya apne jindgi ke mehmano ka parichay ... badhayi Shashi Purwarji
      16 hours ago · Unlike · 1
      #
      Rajesh Kummar Sinha आपकी कविता की अभिव्यक्ति बहुत ही सुंदर है साथ ही भाव भी बहुत ही सुंदर हैं --बधाई आपको==
      16 hours ago · Unlike · 1
      #
      Sunil Telang बहुत खूब Shashi Purwar जी.
      15 hours ago · Like
      #
      Aditya Tayal .............बहुत अच्छी परिकल्पनाएं और सन्देश आव्हान
      ..(१)पुरानी ऎसी परम्पराओं को जो हमें थोथे और रूढ़ियों के बधनों में बांधतीं हैं उनको त्यागने का
      (२) डाह ईर्ष्या धूर्तता को तिलांजलि देकर विदाई देने का
      (३) कदाचरण ,और अनैतिक व्यवसाय को त्याग कर अपनी आत्मा को जगाने का
      अच्छे सन्देश से सुशोभित शब्द बधाई आपको शशि जी..
      15 hours ago · Unlike · 1
      #
      Surendar Nawal सुन्दर भावों से सजी इस सुन्दर रचना के लिए बधाई शशि पूर्वार जी... सादर वंदे...
      14 hours ago · Unlike · 1
      #
      Arvind Yogi सोया हो जमीर ,तो
      कैसे उच्च विचार
      चील,कौए सा युद्ध
      छिछोरा आचार
      शैवाल सा बढ़ता ...See More
      7 hours ago · Unlike · 1
      #
      Bala Shashi Singh sundar vsoch jo agrah kar rage hein bure vichaaron ko man se nikalne ke liye...........badhaai aapko..........pranaam..........
      6 hours ago · Unlike · 2

      BLOG PAR BHI SABHI FACEBOOK SAMOOH KE SABHI RACHNAKARO KA ABHAR

      Delete
  2. सार्थक रचना हार्दिक आभार.

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  4. बहुत सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  5. उत्कृष्ट विचार ....सुंदर प्रस्तुति शशि जी ....
    शुभकामनायें ....!!

    ReplyDelete
  6. लाजवाब और बेहतरीन रचना

    सादर

    ReplyDelete
  7. उन्मुक्त उड़ानें जीवन को..

    ReplyDelete
  8. की विदाई अब ज़रूरी है !!!
    बेहद प्रशंसनीय भावो का जामा पहने है हर पंक्ति, आभार ऐसे लेखन के लिए शशि जी .....

    ReplyDelete
  9. बहुत सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति

    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

    ReplyDelete
  10. सार्थकता लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  11. wah bahut hi gehrey bhaw ki kavita----jeevan main jo kuch ghata hai usey aadmi keh nahi pata----aapney viharo ko aatmbal diya----jujharupan diya----bahut khub ---badhai

    ReplyDelete
  12. वाह ... बहुत ही अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...

    ReplyDelete
  13. बहुत ही अच्छा लिख रही हैं आप शशि जी |

    ReplyDelete
  14. मान्यताओं का समयानुसार बदलना जरूरी है ...
    सार्थक पहल को प्रेरित करती रचना ..

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com