Tuesday, January 15, 2013

खूनी पंजे की लगी छाप


खूनी पंजे की लगी  छाप
काल के थम्ब रिस पड़े
नूतन वर्ष पर दीवारों के
वे  पंचांग ,अब बदल  रहे .

आतंकी तारीखे  बनी
अमावस की काली रात
कैद हुए  मंजर आँखों में
और गोलियों की बरसात 
चीत्कार उठा था ब्रम्हांड
तारे अब भी सुलग रहे.

ताबूत बने थे वे दिन ,
जब सोई मानवता की लाश
उफन रही थी बर्बरता
उजड़  रही थी साँस
देखो घर के भेदी ,अपने
ही घर को निगल रहे.

उत्तरकाल के गुलशन की
नवपल्लव ने जगाई आशा
दिन ,महीने हो गुलजार
ह्रदय की यही अभिलाषा
युवा क्रांति के दृढ़ कदम, अब
दर्पण जग का बदल रहे .
नूतन वर्ष पर दीवारों के
पंचांग  अब बदल रहे .
शशि पुरवार

19 comments:

  1. जो बीत गया वो अच्छा नहीं था...
    आने वाला वक्त उजास लाये यही आशा है..

    सुन्दर कविता शशि...
    सस्नेह
    अनु

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  2. हम आशा करतें हैं की नववर्ष सभी के लिए खुशियाँ और नई आशाएं लाये और जगाये ! इस सुन्दर कविता के लिए निश्चय ही आप बधाई की पात्र हैं !

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  3. यह आक्रोश एक दिशा दे जायेगा..

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  4. आने वाले वक्त के दुआ ही कर सकते हैं कि वो सबके लिए अच्छा ही आए

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  5. आमीन!
    बहुत अच्छी रचना!
    युवा क्रांति के क़दम दृढ़ता से आगे बढ़ें..... यही प्रार्थना व उम्मीद है .....

    `सादर!

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  6. बहुत ही बढ़िया

    सादर

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  7. युवा क्रान्ति ही अब कुछ कर सकती है इस देश समाज में ...
    लाजवाब रचना ...

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  8. बहुत सुंदर युवा क्रान्ति को दिशा देती बेहतरीन प्रस्तुति,,,

    recent post: मातृभूमि,

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  9. बहुत ही अच्छी कविता |शशि जी नमस्ते |

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  10. जल्द ही पंचाग बदले, सोच बदले और व्यवस्था बदले यही उम्मीद है...
    अच्छी रचना...

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  11. तथास्तु

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  12. ✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
    ♥सादर वंदे मातरम् !♥
    ♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿


    उत्तरकाल के गुलशन की
    नवपल्लव ने जगाई आशा
    दिन ,महीने हो गुलजार
    ह्रदय की यही अभिलाषा
    युवा क्रांति के दृढ़ कदम, अब
    दर्पण जग का बदल रहे .
    नूतन वर्ष पर दीवारों के
    पंचांग अब बदल रहे .

    बहुत सुंदर भाव-संयोजन !

    आदरणीया शशि पुरवार जी
    सर्व मंगल की आशाएं फलीभूत हों
    सुंदर कविता के लिए आभार!


    गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई और मंगलकामनाएं …
    ... और शुभकामनाएं आने वाले सभी उत्सवों-पर्वों के लिए !!
    :)
    राजेन्द्र स्वर्णकार
    ✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿

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  13. kash naya warsh... nayee khushiyan laye.....
    bahut behtareen rachna..

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  14. सार्थक कविता है।
    - शून्य आकांक्षी

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  15. आशा जिजीविषा को जीवित रखती है।
    अच्छा संदेश।
    शुभकामनाएं।

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  16. bahut sundar avm aasha ki shakti se bhrpoor rachana bahut prbhavshali lagi .....abhar shashi ji .

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  17. बहुत ही उम्दा रचना है | इस आक्रोश के पीछे कुछ तो जल रहा है ?

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