Saturday, May 25, 2013

क्लांत नदिया............


 
 क्लांत नदिया
वाट जोहे सावन
जलाए भानु .
 
आया सावन
खिलखिलाई धरा
नाचे झरने .

नाचे मयूर
झूम उठा सावन
चंचल बूंदे.

काली घटाए
सूरज को छुपाये
आँख मिचोली .

:--शशि पुरवार 

19 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-05-2013) के "आम फलों का राजा होता : चर्चामंच 1256"
    में मयंक का कोना
    पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. क्षमा करें...पहले कमेट में दिन गलत टाइप हो गया था...!
    --
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (26-05-2013) के "आम फलों का राजा होता : चर्चामंच 1256"
    में मयंक का कोना
    पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. शशि पुरवार जी आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...!

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  4. बहुत सुन्दर हाइकु और जन्मदिन कि ढेर सारी शुभकामनायें ...!!

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  5. बहुत सुंदर हाइकू ,,,

    शशि पुरवार जी आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...!

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  6. नदी, अपनी यात्रा में।

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  7. काली घटाए
    सूरज को छुपाये
    आँख मिचोली .

    सुन्दर रचना ...

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  8. शशिजी पुरवार,
    स्वीकार करें बधाई -
    खूब-सा प्यार !

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  9. अच्छे हायकू ..देर से ही सहे जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं

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  10. आपने मात्र २ ७ शब्दों में प्रकृति की अनन्त सुंदरता का वर्णन किया है.
    गरजते बादल और बरसती बूंदें...यही तो पहचान है मानसून की
    माल पूड़े और खीर खाने का मन हो रहा है ..
    तन के साथ मन को भिगोते हैं .
    हार्दिक शुभकामनायें .

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  11. This comment has been removed by the author.

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  12. बहुत सुंदर और गहराई से अपने सावन का वर्णन कम से कम शब्दों से किया है।
    हार्दिक बधाई .

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  13. Pahli baar aapke blogpe aayi hun..bahut hee badhiya laga....dheere dheere aur bhee padhtee rahungee!

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  14. सावन की याद आ गयी ...
    आभार !

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  15. बहुत सुन्‍दर, सार्थक रचना साथ ही जन्‍मदिन बहुत बहुत बधाई
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की अचंम्भित करने वाली जानकारियॉ प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें
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  16. आया सावन
    खिलखिलाई धरा
    नाचे झरने .

    वाह ... जबर्दत हाइकू ... बरखा आने वाली है ऐसा लगता है ...

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