Tuesday, August 27, 2013

कान्हा नजर न आये ………।

मनमोहन का जाप जपे है
साँस साँस अब मोरी


नटखट कान्हा ने गोकुल में
कितने स्वाँग रचाये
कंकर मारे, मटकी तोड़ी
माखन-दही चुराये
यमुना तीरे पंथ निहारे
हरिक गाँव की छोरी

जग को अर्थ प्रेम का सच्चा
मोहन ने समझाया
राधा-मीरा, गोप-गोपियाँ
सबने श्याम को पाया
उनकी बंसी-धुन को सुनना
चाहे हर इक गोरी

वृन्दावन की कुंज गलिन में
मन मोरा रम जाए
कान्हा-कान्हा हिया पुकारे
कान्हा नजर न आये
मै तो मन ही मन खेलूँ हूँ


- शशि पुरवार 

२१ / ०८ / १३


 


10 comments:

  1. हर बाला के मन की चाह
    सुने बाँसुरी तोरी .

    कान्हा नजर न आये
    वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में
    मन मोरा रम जाए
    कान्हा - कान्हा हिय पुकारे

    मै तो मन ही मन खेलूँ हूँ
    भक्ति -भाव की होरी .
    प्रभावशाली प्रस्तुति

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  2. आपकी यह रचना कल बुधवार (28-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 99 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
    सादर
    सरिता भाटिया

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  3. भक्ति -भाव की प्रभावशाली प्रस्तुति
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

    RECENT POST : पाँच( दोहे )

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  4. बहुत ही खूबसूरत और मासूम , निश्छल रचना । जनमाष्टमी की शुभकामनाएं आपको

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  5. कान्हा सबको खूब छकाये, हमको नजर न आये

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  6. जनमाष्टमी की शुभकामनाएँ

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  7. खुबसूरत अभिवयक्ति......श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......

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  8. ♥ जय श्री कृष्ण ♥
    ✿⊱╮✿⊱╮✿⊱╮
    ..(¯`v´¯) •./¸✿
    (¯` ✿..¯))✿/¸.•*✿
    ...(_.^._)√•*´¨¯(¯`v´¯).
    ...✿•*´)//*´¯`*(¯` ✿ .¯)
    .....✿´)//¯`*(¸.•´(_.^._)
    ♥ जय श्री कृष्ण ♥

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !


    ✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿

    जग को प्रेम का गूढ़ अर्थ
    मोहन ने समझाया
    राधा , मीरा या गोपियां
    सबने श्याम को पाया

    हर बाला के मन की चाह
    सुने बांसुरी तोरी

    वाऽहऽऽ…! सुंदर गीत है !

    आदरणीया शशि पुरवार जी
    श्रेष्ठ सुंदर सृजन के लिए साधुवाद !
    ✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿
    मंगलकामनाओं सहित...
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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