Tuesday, October 1, 2013

आज से रस्ता हमारा और है। …। गजल

आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है

चल रही ऐसी यहाँ पर आंधियाँ
घर का बिखरा ये नजारा और है

या खुदा रहमत नहीं अब चाहिए
फासलों का ये किनारा और है

ख्वाहिशों को तुमने तोड़ा था कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है

हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है

भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है.

जीत लेंगे मुश्किलों  की रहगुजर
होसलों का अब नजारा और है
----- शशि पुरवार
 22 / 9 /13







14 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार - 2/10/2013 को
    जो जनता के लिए लिखेगा, वही इतिहास में बना रहेगा- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः28 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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  2. आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
    आज से रस्ता हमारा और है
    साथ चलने का इशारा और है
    चल रही ऐसी यहाँ पर आंधियाँ
    घर का बिखरा ये नजारा और है

    बुधवार 02/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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  3. सुंदर पोस्ट विजय दशमी की बधाई

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  4. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  5. आपकी यह रचना कल बुधवार (02-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 134 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
    सादर
    सरिता भाटिया

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  6. bahut umda likha hai.. adarniya badhai ..

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  7. हौसला बना रहे, जीवन ऊर्जामय बना रहता है।

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  8. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति !
    नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  9. हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
    हार जाने का इजारा और है ..

    हार में ही तो जीत का भाव छिपा है ... लाजवाब शेर ...

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  10. उम्दा प्रस्तुति ... सुदर भावाभिव्यक्ति ..बधाई

    हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
    हार जाने का इजारा और है

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  11. हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
    हार जाने का इजारा और है
    आदरणीया शशि जी उम्दा गज़ल के लिए बधाई.

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