Friday, February 19, 2016

आँखों में कटते हैं दिन





करवट लेते रहे रात भर
आँखों में कटते है दिन
उमस भरी रातों के पलछिन 

दर्प दिखाती खड़ी इमारत
सिमटे हैं नेह दालान
किरणें आती जाती देखें
सब बंद है रौशनदान
भीतर हवा सुलगती रहती
घुटन भरी साँसें कमसिन.

सन्नाटा कमरें में पसरा
अंतस में है कोलाहल
दो पाटों के बीच घिरा, यह
नन्हा सा, मन है चंचल
इक अदद कहानी गढ़ते है
बीत रहे काले दुर्दिन.

शाम सुबह, घर दिखते साये
एक दूजे से नाराज
खिड़की दरवाजे भी सुनते
फिर टिकटिक घडी का साज
टुकड़ा टुकड़ा धूप सहेजे 
वो मन अँधियारे हर दिन.

करवट लेते रहे रातभर
आँखों में कटते है दिन।
 शशि पुरवार



15 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (20-0122016) को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का माहौल बहाल करें " (चर्चा अंक-2258) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ।

    ReplyDelete
  3. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 21 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  6. इस अंतस और सन्नाटे से बाहर आना जरूरी है ... दिन का खुला प्रकाश इंतज़ार करता है ... भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
  7. sunder .................!!!!!!

    ReplyDelete
  8. बेहतरीन प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  9. खालीपन को भरती हुई कविताएँ , अपने अंदर झांककर बाहर के दायरे का अलंकन करती नज़्मों की भाषा , खैर दुआ है कि ऐसा ही लिखते रहो।

    ReplyDelete
  10. यही कहानी जीवन है ।सुंदर रचना ।

    ReplyDelete
  11. Good !I suggest people if they want to start Hindi blogging then they should learn from your blog posts... Indian Matrimony

    ReplyDelete
  12. दो पाटों के बीच घिरा
    यह नन्हा सा मन है चंचल
    -------------------------------
    कविता भी यही है और जीवन भी यही. हम सब इसी में डूबते-बहते रहते हैं.

    ReplyDelete
  13. Nice Articale Sir I like ur website and daily visit every day i get here something more and special on your site.
    one request this is my blog i following you can u give me some tips regarding seo, Degine,pagespeed
    www.hihindi.com

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com