फूल बागों में खिले ये सबके मन भाते भी हैं।
मंदिरों के नाम तोड़े रोज ये जाते भी हैं।
चाहे माला में गुंथे या केश की शोभा बने
टूट कर फिर डाल से ये फूल मुरझाते भी हैं।
इन का हर रूप-रंग और सुरभि भी पहचान है
डालियों पर खिल के ये भौरों को ललचाते भी हैं।
फूल चंपा के खिलें या फिर चमेली के खिले
गुल ये सारे बाग़ के मधुबन को महकाते भी हैं।
भोर उपवन की सदा तितली से ही गुलजार है
फूलों का मकरंद पीने भौरे मँडराते भी हैं।
पेड़ पौधों से सदा हरियाली जीवन में रहे
फूल पत्ते पेड़ का सौन्दर्य दरसाते भी हैं।
---- शशि पुरवार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (13-02-2014) को दीवाने तो दीवाने होते हैं ( चर्चा - 1522 ) में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : फूलों के रंग से
फूलों का अलग अलग आयाम से देखने का सफल प्रयोग है ये गजाल ... लाजवाब ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति बढ़िया अर्थ और भाव
ReplyDeleteफूल बागों में खिले ये सबके मन भाते भी हैं।
मंदिरों के नाम तोड़े रोज ये जाते भी हैं।
चाहे माला में गुंथे या केश की शोभा बने
टूट कर फिर डाल से ये फूल मुरझाते भी हैं।
इन का हर रूप-रंग और सुरभि भी पहचान है
डालियों पर खिल के ये भौरों को ललचाते भी हैं।
फूल चंपा के खिलें या फिर चमेली के खिले
गुल ये सारे बाग़ के मधुबन को महकाते भी हैं।
भोर उपवन की सदा तितली से ही गुलजार है
फूलों का मकरंद पीने भौरे मँडराते भी हैं।
पेड़ पौधों से सदा हरियाली जीवन में रहे
फूल पत्ते पेड़ का सौन्दर्य दरसाते भी हैं।
---- शशि पुरवार
You might also l
हर शेर फूलों की खुशबू लिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गजल !
वाह, बहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteपेड़ पौधों से सदा हरियाली जीवन में रहे
ReplyDeleteफूल पत्ते पेड़ का सौन्दर्य दरसाते भी हैं।
bahut khoob
badhai
rachana
उम्दा लिखा है..
ReplyDeleteभोर उपवन की सदा तितली से ही गुलजार है
ReplyDeleteफूलों का मकरंद पीने भौरे मँडराते भी हैं।
behad sundar rachana prkrtik saundary ki sundar vyakhya ki hai apne ....badhai Shashi ji
वाह ! बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteHow goooo..g!
ReplyDeleteशशि जी आशीर्वाद
ReplyDeleteचाहे माला में गुंथे या केश की शोभा बने
टूट कर फिर डाल से ये फूल मुरझाते भी हैं।
(अतिसुंदर )आपकी लेखनी के गजल गीत के फूल खिलते रहे शुभ कामनाएं
rang-l birange phul aur unaki upyogita va nashwar prakriti ka abhas karati gagal bahut sunder likhi hai. sach men kali to khilegi roop- ras barsegi aur dhoom bhi macheigi, piyenge parag ali , titliyan bhi dolengi madhu ras chakhengi upavan ki shobha bhi badhaigi,kal ke karon se phir bhi na achuti shesh geern vadana ho dhool men milegi panch tatva men ramegi.sashi ji apaki gagal padh ke kuch bhav jaga so likh diya
ReplyDeletepushpa mehra.
बहुत ही खूबसूरत
ReplyDelete