Tuesday, October 18, 2011
Saturday, October 15, 2011
मौत क्यूँ ........ ? जीवन अनमोल है ......!
" जिन्दगी पथ है ,मंजिल की तरफ जाने का ,
मौत गीत है , सदा मस्ती में गाने का .
जिन्दगी नाम है ,तूफान से टकराने का ,
मौत नाम है आराम से सो जाने का ."
किसी शायर की ये चंद लाइन कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती है . जिन्दगी के प्रति हिम्मत दिलाती हुई इन चंद पंक्तियो ने जिन्दगी और मौत के अंतर को आसानी से व्यक्त कर दिया है . पर लगता है यह सिर्फ किताबो के बंद पन्नो में ही उलझ कर रह गयी है और जिन्दगी की जगह मौत का खेल होने लगा है .........लोगो का जिन्दगी देखने का नजरिया भी बदलने लगा है .
हम अक्सर समाचार पत्रो में व मिडिया द्वारा मृत्यु की खबरे देखते सुनते है ......युवा हो या जवान , उम्रदराज हो या अन्य , वालीवुड कलाकार हो या किसान ....आदि ने मौत को गले लगाया है .
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि लोगो की नजर में जिन्दगी की अहमियत कम होती जा रही है . बीते वर्षों में किसानो की आत्महत्या ने भी कई सवाल खड़े किये थे . मरने वाला चाहे साधारण इन्सान हो या चमकता सितारा ....... इस तरह मौत को गले लगाना शर्मसार करता है . ऐसे लोग दूसरो की सोच को भी गलत दिशा की तरफ मोड़ देते है . हम अक्सर पढ़ते व सुनते है कि परीक्षा की असफलता , प्रेम की नाकामी , पारिवारिक कलह , नौकरी , तंगहाली , बेरोजगारी , कर्ज , अवसाद व सफल न हो पाना ......... इत्यादि अनेक ऐसी बाते है जिसके चलते लोग मौत को गले लगाते है . परन्तु इसके अलावा मौत का बाकायदा खेल भी होने लगा है , जिसमे समझदार के साथ मासूम भी फँस जाते है . मौत के ऐसे सौदागर भी है जो मौत को बेच रहे है ......... आजकल तो बम ब्लास्ट , मानव बम भी आम हो गए है ..............बस एक खेल और जिंदगी ख़त्म.... !
मौत का यह मंजर दिल दहला देने वाला होता है ......मौत के इस खेल पर रोक लगाना बहुत जरूरी है . जिन्दगी को दाँव पर लगाना कहाँ की समझदारी है . इस तरह के लोगों ने जिन्दगी को एक मजाक बना दिया है ......... उनके द्वारा किया गया यह जघन्य कार्य ....... वास्तव में शर्मसार व परिजनों के लिए कष्टदायी होता है . जो भी लोग आत्महत्या जैसा कदम उठाते है वे यह भी नहीं सोचते की माला का एक मोती यदि टूट जाता है तो माला पहले जैसी नही रहती है , उसमे बिखराव आ जाता है और वह स्थान कभी नहीं भरता .........!
मौत को गले लगाने के पहले लोग यह भी नहीं सोचते कि उनके मरने के वाद उनके निकटवर्ती एवं परिवार का क्या होगा ........? वे खुद तो मृत्यु का वरण करते है , परन्तु कई सारे प्रश्न अपने परिजनो के लिए छोड़ जाते है . मरने वाले के साथ उसका परिवार भी जीते जी मर जाता है . परिवार का हर सदस्य संदेह , शक व प्रश्नो के ऐसे कठघरे में खड़ा हो जाता है कि उसे सामान्य जीवन जीने में भी कई वर्ष लग जाते है . कई बार तो लोग इस सच से परेशान होकर शहर भी बदल लेते है ............. परन्तु उन बातो के निशान कभी नहीं जाते .
सच तो यह है कि वे ही लोग मौत को गले लगाते है जो कायर होते है , जिन्हें संघर्ष से डर लगता है . मरना कोई बड़ी बात नहीं , मर तो कोई भी सकता है .......... परन्तु असली साहस तो जीने में है . सच्चा एवं बहादुर वही होता है जो जिन्दगी में हर कडवे व मीठे सच का सामना करते हुए जिन्दगी कि जंग जीतता है . वह जीवन ही क्या जिसमे संघर्ष न हो . जीवन में कब क्या होगा कोई नहीं जानता , आने वाला हर पल एक इंतिहान होता है . जीवन के आने वाले पलो को तो कोई नहीं बता सकता ......... परन्तु मरने के बाद तो जीवन बदल जाता है . जीवन के कष्टों से भागने या खेल - खेल में जिन्दगी को दावं पर लगा देना समझदारी नहीं . जो लोग जीने में यकीं रखते है वे मौत के बारे में नहीं सोचते , जीवन से नहीं डरते ..........!
कहने का तात्पर्य है कि इन्सान कई बार अपने मन से मरता है पर फिर भी जीना नहीं छोड़ता क्यूंकि एक न एक दिन सभी को मरना है , तो फिर जीवन से हार क्यूँ मानी जाए ................?
हर सुबह एक नयी किरण लेकर आती है और जाते समय अंधकार दे जाती है , पर फिर एक नई सुबह का वादा करके| उसी प्रकार जिंदगी में भी अंधकार के बाद सबेरा होना ही है तो क्यूँ न उस सुबह की सुनहरी किरण के इंतजार में अँधेरे को भी ख़ुशी से जिया जाए .............!
हर तूफान के पूर्व शांति है , हर पतझड़ के बाद बहार है , हर जीवन का अंत मौत है ......... पर यदि जीवन निडरता पूर्ण जिया जाए तो मृत्यु भी सुखद होती है .
हर तूफान के पूर्व शांति है , हर पतझड़ के बाद बहार है , हर जीवन का अंत मौत है ......... पर यदि जीवन निडरता पूर्ण जिया जाए तो मृत्यु भी सुखद होती है .
यदि इस सत्य को हम हमेशा याद रखे तो जीवन के संघर्ष बहुत आसान हो जाते है जो हमेशा एक - दूसरे के लिए प्रेरणादायी रहते है . यदि सभी यह प्रण करे कि वे मरने जैसा कायरतापूर्ण कार्य न खुद करेंगे और न किसी दूसरे को करने देंगे , तो आप जो मानसिक सुख पाएंगे वो अनमोल होगा . जीवन एक सुख - दुःख के पहियो से बनी एक ऐसी गाड़ी है जो हर डगर पर चलती है और यह गाड़ी हर किसी को नहीं मिलती . जीवन तो किस्मत वालों को ही मिलता है . तो फिर अपने इस अनमोल जीवन पर मृत्यु का ग्रहण स्वयं न लगाये , यह काम वक़्त के लिए छोड़ दे . जब भी कभी उदास हो तो निराशा को दूर करने के लिए अपने अच्छे पलो को याद कर ले , जो जादुई अमृत का काम करता है और तन - मन में नया संचार एवं स्फूर्ति भर देता है . ऐसे समय नयी सोच के साथ नई शुरुआत करे , आने वाली सुबह की सुनहरी किरण कभी आपके जीवन में भी प्रकाश फैलाएगी .
जीवन अनमोल है उसकी सुरक्षा कीजिये ..!
: -- शशि - पुरवार
Wednesday, October 12, 2011
क्यूँ एक आस..............!
उसके खोने का है गम
जो न था कभी अपना ,
इस बात का है मुझे एहसास
आज दिल फिर क्यूँ उदास ...?
इसी काबिल था यह शायद
रह जाये अकेले सफ़र में,
अब साया भी न मेरे पास
दिल में फिर भी बची
क्यूँ एक आस.
चंचल मन , तर्क पूर्ण बुद्दि के बीच
हो रहे भयंकर इस अंतरद्वन्द में ,
किसका अनुकरण करूं में
अंतत: हार निश्चित है ,
क्यूँ साथ है ....?
उलझ गयी हूँ इस सोच में
सोचती हूँ कुछ और सोचूँ ,
एक नयी सोच की तलाश है
आज दिल फिर उदास है .
उसके खोने का .............!
:- शशि पुरवार
Saturday, October 8, 2011
Wednesday, October 5, 2011
क्षणिकाएं .......
दशहरा
रावण के संग
बुराई- पाप का
अंत किया.
-----------------
दीपावली
जगमग रोशनी संग
अंधकार
दूर दिया .
---------------------
प्यार प्रतीक है
दिल का
विश्वास की
ज्योत से
प्रज्वलित किया .
------------------------
जीवन एक समंदर
आशाओं की
नैया संग
हर कठिनाई को
पार किया .
:- शशि पुरवार
आप को व आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाये .
आपके जीवन में खुशियों की बौछार हो यही हमारी कामना है .
:- शशि पुरवार
Monday, October 3, 2011
और हमारा तुमसे मिलना ............1
जीवन एक सुंदर सपना ,
और हमारा तुमसे मिलना ,
इस कदर अपनों सा चाहना ,
आँखों से यूँ प्यार बरसना ,
अब तो ठंडी आहें भरना,
यूँ हमारा तुमसे बिछड़ना ,
देखना , जी लेंगे हम ,
यादों में तुम्हारी ,
प्यारे मित्र और सखियाँ .
बचपन के दिन भी कितने सुंदर होते है - मित्र , सखियाँ ,सहेलियां ......और हंगामे . पर एक वक़्त ऐसा भी आता है जब सब बिछड़ जाते है हमेशा के लिए , क्यूंकि जिंदगी के आयाम बदल जाते है और ये सारे पल फिर से चाह कर भी नहीं आ पाते . ऐसा सिर्फ लड़कियों के साथ नहीं होता, लड़कों के भी साथ होता है , क्यूंकि जिंदगी एक की नहीं दोनो की बदलती है , और एक नयी दुनियां नजर आती है . वास्तव में बचपन के मासूम दिन बहुत ही खूबसूरत होते है .डायरी के पन्ने
:- शशि पुरवार
Sunday, October 2, 2011
"सच का आइना " .
महंगाई की ,
मार तो देखो
और इन नेताओ की ,
चाल तो देखो .
इन्हें जीवन के कडवे ,
"सच का आइना " .
चाल तो देखो .
कान तो बंद है ,
खुली है आँखे
फिर भी नजर नहीं आ रहा , खुली है आँखे
इन्हें जीवन के कडवे ,
"सच का आइना " .
इसी तरह के झंझावत में ,
गुजर रही है,
कई जिन्दगानिया.
गुजर रही है,
कई जिन्दगानिया.
वस्त्र नहीं है,
तन ढकने को ,
तन ढकने को ,
छत नहीं है ,
सिर छुपाने को, और
अन्न नहीं है खाने को.
फिर भी किसी तरह ,
सड़क किनारे
फिर भी किसी तरह ,
सड़क किनारे
जी रही है ,
ये मासूम जवानिया .
महंगाई का दानव ,
छल रहा ,
ये मासूम जवानिया .
महंगाई का दानव ,
छल रहा ,
काला धन भर रहा,
कोई तो , इनका
संहार करो .
भ्रष्टाचार रुपी इस
रावन का ,
मिल कर
दहन करो .
:- शशि पुरवार
यदि हर इन्सान प्रण ले कि भ्रष्टाचार का दहन करना है , तो ये दानव स्वतः ही दम तोड़ देगा ......!
Saturday, October 1, 2011
नजराना..........!
कागज के यह
चंद टुकड़े (पन्ने ) ,
नजराना समझ कर
रख लेना .
इन पत्थरों की तुलना ,
हीरे से न करना .
कल हम रहें या ना रहें
बेगाना समझ कर ही ,
याद कर लेना .
ये जिंदगी है ,
जब तक बाकी
याद रह जाये ,
तो मिल लेना .
तोहफे में दिए ,
इन पन्नो को ही
प्यार की
भेंट समझना .
:- शशि पुरवार
कई बार हम तोहफे में सिर्फ कार्ड या कुछ लाइन हमारे प्रिये जनों को देते है , जो सबके लिए अनमोल नहीं होती हैं। आज लोग रूपये से ही तोहफे का वजन तोलते है . कागज के टुकड़े , का मतलब यहाँ पन्नो से है. यहाँ कागज को पत्थरों के सामान बेजान मन गया है जिसका कोई मोल नहीं होता , पर हीरे का होता है ....... ज्यादातर लोग तोहफे का मोल देखते है ,देने वाले का दिल और मन नहीं , हर किसी के लिए कार्ड या लेखनी का मोल नहीं होता ,जिसे वह कुछ समय बाद फ़ेंक देते है . आज कितने लोग कार्ड और पत्रों का मोल समझते है,इसी बात को अलग -अलग शब्दों में दर्शाने की कोशिश ......! डायरी के पन्नों से
Friday, September 30, 2011
अनमोल - अनुपम भेटं " बेटियां "
खुदा की दी हुई
एक अनमोल - अनुपम ,
भेटं " बेटियां "
हीरे जैसी मजबूत होती है,
बेटियां
चिड़ियों सी चहकती ,
हिरनों सी मचलती ,अपने प्यारे हाथो से
दुलार कर और
मीठी बातो से , सारे
दुःख - दर्द हर लेती है ,
" बेटियां "
दिल के करीब , पर
उतनी ही
समझदार होती है
बेटियां .........!
घर आंगन में ,
किलकारी भरती
और अपने नवजीवन में ,
नए घर को भी
रौशन करती है,
ये बेटियां .
एक ही नहीं , दो परिवारों का
मान बढाती है ,
ये बेटियां .
नए संसार को, नयी उत्त्पति देकर
नया जीवन संवारती है ,
ये बेटियां .
बेटी - बहन - सखी - पत्नी और माता ,
ये सारे रिश्ते निभाती है
सि र्फ
" बेटियां "
बेटियों से ही तो ,
जीवन की उत्पत्ति होती है ... !
बहुत ही अनमोल है ,
ये बेटियां .
मत गर्भावस्था में ,
मारो इन्हें .जग की जननी है ,
ये बेटियां .. !.
रक्षा करो इनकी ,
सम्मान दो इन्हें .
नहीं तो हमेशा के लिए ,
सिर्फ " यादें "
बन जाएँगी ,
ये ,
" बेटियां "
:- शशि पुरवार
Tuesday, September 27, 2011
कलम जब हो साथ .....!
कविता लिख लेते है .
हम फौलाद तो नहीं ,पर
ज़माने का दर्द भी सह लेते है .
हम सिर्फ खुशियो को ही नहीं ,
गम को भी गले लगा लेते है
ये जिंदगी है क्या , यह
हम जिंदगी से ही पूछ लेते है .
तो ,
तो ,
ये अम्बर है जहाँ तक .
वहाँ तक है राहे,
जीवन की आखिरी साँस तक ,
है , जीने की है चाहते .
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