Saturday, February 25, 2012
Thursday, February 16, 2012
जार - जार होते सिद्धांत....
हे प्रभु , तेरी लीला है न्यारी ,
जग पे छाई , है यह कैसी खुमारी ..
गिरते मूल्य ,
छोटे होते इंसान
मौकापरस्त है वे ,
सेकते अपने हाथ ,
रूपैया महान....!
भारी होती जेबें ,
खिसियानी मुसकान .
चहुँ और फैले दानव ,
मासूमियत परेशां...!
कर के नाम पर
साधू दे दान ,
चतुर छुपाये काम
तभी तो होगा
देश का कल्याण .
मासूम चेहरे
हैवानियत भरी नजरे
कुटिलता है पहचान .
जार - जार होते सिद्धांत
इंसानियत हैरान .
नर हो या नारी
कटाक्ष की तलवार
सोने सी भारी
स्वार्थ , अहं , दुश्मनी
तानाशाही , खुनी मंजर की
आग में है झुलसे
दुनिया सारी..... !
हे प्रभु , तेरी लीला है न्यारी ...!
:--शशि पुरवार
Wednesday, February 8, 2012
थकित कदम....!
चुपचाप हौले से , वाट जोहते है तेरी ,
धीरे से अब तो आ जाओ , खुशियाँ
दामन में मेरी ....!
पेशानी की सलवटो को छुपाते
दर्द की ज्वाला को दिल में दबाते ,
अधरो पे हैं मुस्कान लाते
जीवन के रण में बस ,
कैक्टस को ही गिनते जाते ..!
रूत बदली , बसंत ने ली अंगड़ाई
नवकोपलों पे है, खुमारी छाई .
झरते पत्ते दे रहे पुनरागमन का पैगाम ,
फिर कब ख़त्म होगा सब्र का इन्तिहाँ .
बीतते वक्त के साथ , मद्धम होती रौशनी
जर्जर तन , थकित कदम , सुप्त सा मन .
एक सा लागे सारा मौसम ....बसंत .
ऐसे ही खाली जाम के संग ,
जीवन से रुकसत होते हम .....!
चुपचाप , हौले से वाट जोहते है तेरी ,
अब तो आ जाओ ...खुशियाँ ....
दामन में मेरी .............!
:-- शशि पुरवार
:-- शशि पुरवार
कभी -कभी ऊपर वाला भी सितम करता है ,
भरे हुए जाम को सदैव छलकाता है और जिसका प्याला खाली है उसका खाली ही रह जाता है ....!
थोडा सा जाम यदि खाली प्याले में गिरे तो मन तृप्त हो जाता है ..........पर जिसके जाम गिरते रहते है.... उन्हें कहाँ किसी का दर्द नजर आता है .......!
:----शशि पुरवार.
Wednesday, February 1, 2012
छलकता प्यार ...!
तुम ही तुम हो मेरे मन
मंदिर में,
खुशबु की तरह ...!
है बंद मगर ,
देख रही आँखे .
अपने प्यार का,
सजदा कर रही आँखें .
नजर जिधर उठे ,
तुम्हीं सामने हो ,
बंद ही नहीं ,
मेरी खुली नजरो
में भी तुम ही हो .!
मोहब्बत बन गयी है अब
दिल का साज .
दिल की हर धड़कन पे है
तुम्हारी आवाज .
तुम्हारी आँखो में देखा है
छलकता प्यार .
तुम्हें हर वक्त महसूस किया है
आपने पास ......!
तुम ही तुम हो ....!
:---शशि पुरवार
Tuesday, January 24, 2012
भागता मन......
१ कंपकंपाता
सिहरता बदन
ठंडी चुभन
२ ठंडी बयार
जलता दिनकर
है बेअसर.
३ गिरता पत्ता
छोड़ रहा बंधन
नव जीवन .
४ अहंकार है
मृगतृष्णा की सीढ़ी
मन का धोखा.
५ कच्ची उम्र
नव कोपल प्राण
दिशाहीनता.
६ खुशियाँ बाटें
सकारात्मक धारा
अहमियत .
७ मुक्त हवा में
पत्ता चला मिलने
धरा ही है माँ .
८ समेटता सा
धरा का हर अंग
बर्फ का कण .
९ भागता मन
चंचल हिरनों सा
रफ़्तार संग.
१० बहाल प्रजा
खुशहाल है नेता
खूब घोटाले.
:-- शशि पुरवार
Thursday, January 19, 2012
दिल के कुछ अरमान ......!
दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...!
कुछ अजन्मे , अनछुए ख्वाब
विचरते है कई बार
नम हुए नयन ,
दिल में उठी एक चुभन
ख्वाहिशे हुई क्लांत
खामोश हुई जुबान
आरजूएं हुई है खफा
मिली ये कैसी सजा
गम पीकर भी मुस्कुराते है
जिंदगी के साथ कदम मिलते है ...!
दिल के कुछ अरमान दिल में ही ........!
गुजरते वक्त के साथ
धूमिल नहीं होते ख्वाब
आरजूएं कभी नहीं मरती
इन अजन्मे ख्वाबो की बस्ती
दिल के किसी कोने में है बस्ती ,
वक्त के थपेड़े भी , नहीं
बना पाते उनकी ख्वाबगाह
अनछुए से , सीप के मोती ,
और गुलशन के फूलों ,
की तरह सदैव महकते है
दिल के कुछ अरमान .....!
अजन्मी चाहतें , कुछ ख्वाब
दिल में दफ़न होकर भी ,
सदैव दिल में जन्म लेते है
हकीकत का रूप मिले या न मिले
दिल में सदैव बसते है .
दिल के कुछ अरमान
दिल में ही रह जाते है ...........!
: -- शशि पुरवार
Friday, January 13, 2012
श्वेत चादर .........!
१ ) शीत लहर
अदरक की चाय
गरम चुस्की .
२ ) जमती झीले
चमकती चांदनी
श्वेत चादर .
३) हिमपात है
तपती धरा पर,
शितोपचार .
४) बर्फ ही बर्फ
बिखरी चारो तर्फ
अकेली जान .
५) बर्फ सा पानी
कांपती जिंदगानी
है गंगा स्नान .
६ ) जमता खून
हुई कठिन सांसे
फर्ज - इन्तिहाँ .
७) शीत प्रकोप
सैन्य बल सलाम
देश में जान .
८) खिलखिलाता
हुआ आया है भानू
गर्म छुअन .
: -- शशि पुरवार
Monday, January 9, 2012
चहुँ और फैले ..!
१ . आया नूतन नववर्ष , करे नया संकल्प
जीवन में आये बहार , मुस्काती बारम्बार .
२. जगी मन में आशा , कुछ नवीन ख्याल.
एक पहचान , सही दिशा ,ऊचाइयों का जन्म .
३. चहुँ और फैले , शिक्षा का प्रकाश
अशिक्षित जीवन में आये, सुनहरा प्रकाश .
४ . अंत हो कुरीतियों का , यही है बस चाहत
इस नववर्ष में नयी दिशा ,उचाईयों को छुए मानव .
५ .धरती से अम्बर तक , गूंजे सच का नाम
नववर्ष में प्रेक्षित हो ,जग में सारे सच्चे काम.
:-- शशि पुरवार
Friday, January 6, 2012
Tuesday, January 3, 2012
कभी तुम कुछ कहते हो .........!
कभी तुम कुछ कहते हो ,
कभी तुम चुप रहते हो ,
पर हमेशा मुझसे ही कुछ ,
कहलवाने की कोशिश करते हो ...!
कभी नजरे मिलते हो ,
कभी नजरे चुराते हो ,
ऐसा लगता है कि ,दूर
जाने कि कोशिश करते हो ...!
कभी पास आते हो ,
कभी दूर चले जाते हो ,
क्या दिल ,लगाने कि
कोशिश करते हो ....!
कभी प्यार जताते हो ,
कभी प्यार छुपाते हो ,
क्या तुम मेरे प्यार को ,
आजमाने कि कोशिश करते हो ........!
कभी तुम कुछ कहते हो .........!
:-- शशि पुरवार
कभी तुम चुप रहते हो ,
पर हमेशा मुझसे ही कुछ ,
कहलवाने की कोशिश करते हो ...!
कभी नजरे मिलते हो ,
कभी नजरे चुराते हो ,
ऐसा लगता है कि ,दूर
जाने कि कोशिश करते हो ...!
कभी पास आते हो ,
कभी दूर चले जाते हो ,
क्या दिल ,लगाने कि
कोशिश करते हो ....!
कभी प्यार जताते हो ,
कभी प्यार छुपाते हो ,
क्या तुम मेरे प्यार को ,
आजमाने कि कोशिश करते हो ........!
कभी तुम कुछ कहते हो .........!
:-- शशि पुरवार
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