अमावस का तम
दीपावली का त्यौहार
जले लड़ियाँ हजार
अमावस का तम
लड़ा रौशनी संग.
गोधुली साँझ की बेला में,
लक्ष्मी संग गणेश
का आगमन.
चहुँ ओर छाए
टिमटिमाते पंती,
पटाखों का गुंजन
जग हो जाये रौशन.
रॉकेट संग उमंगें
करे नभ से रीत
पैगाम दे मुकाम का
प्रयत्न संग जोड़ो प्रीत.
:- शशि पुरवार
Beautiful post for Diwali:)
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता।
ReplyDeleteसादर
deepawali par
ReplyDeleteshabdon kee aatishbaazee
karee shashee ne
दीपावली भी तो प्रीत जोड़ती है ... मिलन का त्य्हार है ...
ReplyDeleteबधाई इस रचना पे ...
बढ़िया दीप गीत ..
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
रॉकेट संग उमंगें
ReplyDeleteकरे नभ से रीत
पैगाम दे मुकाम का
प्रयत्न संग जोड़ो प्रीत.
बहुत सुंदर गीत !!
sunder rachna
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
हरेक पंक्ति बहुत मर्मस्पर्शी है। कविता अच्छी लगी ।
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com