भागता मन......
१ कंपकंपाता
सिहरता बदन
ठंडी चुभन
२ ठंडी बयार
जलता दिनकर
है बेअसर.
३ गिरता पत्ता
छोड़ रहा बंधन
नव जीवन .
४ अहंकार है
मृगतृष्णा की सीढ़ी
मन का धोखा.
५ कच्ची उम्र
नव कोपल प्राण
दिशाहीनता.
६ खुशियाँ बाटें
सकारात्मक धारा
अहमियत .
७ मुक्त हवा में
पत्ता चला मिलने
धरा ही है माँ .
८ समेटता सा
धरा का हर अंग
बर्फ का कण .
९ भागता मन
चंचल हिरनों सा
रफ़्तार संग.
१० बहाल प्रजा
खुशहाल है नेता
खूब घोटाले.
:-- शशि पुरवार
baat ho gayee
ReplyDeletekhushee mil gayee
tripti
wah!:)
शशि जी इस अद्भुत रचना के लिए साधुवाद स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
वाह! सभी हाइकू बहुत सारगर्भित और सुन्दर..बधाई
ReplyDeleteसभी हाइकु सुंदर हैं शशि जी,सागर में गागर की तरह। शुभकामनायें स्वीकारें।
ReplyDeleteकवि विहारी जी में कहा है -सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर /देखन में छोटे लगे घाव करे गम्भीर |बधाई और शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteI loved the 5th, 6th and 8th. Beautiful composition!
ReplyDeleteaapka bahut - bahut shukriya rajrndra ji , indu ji , kailash ji ,neerav ji , tushar ji saru .......aapki samiksha hamesha hi protsahit karti hai .
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद...वंदे मातरम्।
Wonderfully composed poem by Shashi Purvar. And i liked the 3rd one which is about girtha pattha.
ReplyDeletehttp://www.rachelspassion.blogspot.com
बहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
बहुत ही अधिक विचारणीय।
ReplyDeletegagar me sagar..shandaar abhivyakti..aapke blog per pahli baar aana hua..accha laga...mere blog par bhee aapka swagat hai...
ReplyDeleteबेहतरीन हायेकु शशि जी ...
ReplyDeleteअति सुन्दर...
बहुत सुंदर हायकू लिखा हैं। शशि जी बधाई
ReplyDeleteशशि जी मेरा ब्लॉग भी पढे
ReplyDeleteसुन्दर विचारणीय हाइकु बधाई स्वीकारे !
ReplyDeleteek se badh kar ek..:)))
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया ..
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