कहीं जान न ले यह इंतजार
क्या तुम्हे है ,
इस बात का ख्याल ....!
हर आहट देती है
तुम्हारे कदमो के निशां
थम जाती है यह धड़कन
सोच कर तुम्हारा नाम
दीवानगी तो मेरी ...
न जाने क्या रंग दिखाएगी
पर सनम ,
इंतजार कराने की तुम्हारी
यह खता तो ,
हमारी जान ही ले जाएगी ....!
:----- शशि पुरवार
Very beautiful poem and ending is mind blowing!
ReplyDeleteनहीं नहीं....
ReplyDeleteजब सांस होगी एक बाकी....तब होगी दस्तक और देखना वो ज़रूर आयेंगे....
इतने बेमुरव्वत भी नहीं ..........
सुभानाल्लाह.....इंतज़ार की भी लज्ज़त है मुहब्बत करने वालो के लिए।
ReplyDeleteपर इस इंतज़ार का भी अलग ही मज़ा है ... बहुत खूब लिखा है ...
ReplyDeleteइंतज़ार भी तो प्रेम का अभिन्न अंग है और इस कसक में भी रस है ! हर दौर से गुज़रना, हर पहलु को जीना ही जीवन है | सुंदर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteथम जाती है यह धड़कन,सोच कर तुम्हारा नाम.....
ReplyDeleteroomani ahasaas.....sunder......
sunder bhav intjar pr kya khoob likha hai
ReplyDeletebadhai
क्या बात है, आखिरी पंक्तियों में तो जान देने की बात कहकर जान ले ली है आपने । बहुत बढिया रचना। बधाई !
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ReplyDelete♥
सोच कर तुम्हारा नाम..
बहुत सुंदर !
बहुत भावपूर्ण !
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नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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*चैत्र नवरात्रि और नव संवत २०६९ की हार्दिक बधाई !*
*शुभकामनाएं !*
*मंगलकामनाएं !*
प्रेम में पगी कविता बहुत अच्छी लगी शशि जी बधाई और शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteवाह, बिल्कुल नए अंदाज़ की कविता।
ReplyDeleteVery passionate & full of love!
ReplyDeleteअपने मन के भावों को प्रकट करने का यह तरीका अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
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