तपन की है प्यास
१) जलता भानु
उष्णता की चुभन
रातें भी नम.
२) रसीली आस
तपन की है प्यास
शीतल जल .
३) कैरी का पना
आम की बादशाई
खूब है भाई .
४ ) बर्फ का गोला
रंगबिरंगी कुल्फी
गर्मी भगाई
५ ) पानी की तंगी
मचा है हाहाकार
गर्मी की मार .
6) वृक्ष रोपण
सुरक्षा का कवच
है हरियाली .
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दो तांका--
१) बीतता पल
सुनहरी डगर
भविष्य निधि
निर्माणधीन आज
कर्म की बढती प्यास .
२) कल की बाते
पीछे छूट जाती है
आने वाला है
भविष्य का प्रहर
नयी है शुरुआत .
-- शशि पुरवार
दोस्तो मै बाहर टूर पर होने के कारण ब्लॉग पर नही आ सकती .वापिस आकर जल्दी ही आप सबसे मिलती हूँ तब तक के लिए आज्ञा दे ......आप सभी के दिन और गर्मियो के पल आनंदमयी हो .......इसी कामना के साथ आपसे विदा लेती हूँ . जून में आपसे मुलाक़ात होगी .
बहुत खूब शशि जी !
ReplyDeleteबढ़िया..............
ReplyDeleteरचनाएँ भी.................आपका प्लान भी................
खुशियाँ मनायें....
:-)
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteवाह...बहुत खूब लाजबाब प्रस्तुति,....शशि जी,.....
ReplyDeleteRECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
अच्छे हाईकू
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeleteलगता हैं इस बार ब्लोगिंग कुछ ठंडी पड़ने वाली हैं छुट्टियों में
बहुत सुन्दर हाईकू और क्षणिकाएँ !
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeletebehteren greshm ritu ki prastuti,sashi ji !!
ReplyDeletewonderful to read! keep sharing..apki next kavita ka intezar rahega..
छोटे छोटे शब्दों और छोटी छोटी पन्क्तियों मे बहुत कुछ कह दिया आपने
ReplyDeleteगरमी में शीतलता का अहसास कराती कविता।
ReplyDeleteआपकी यात्रा सुखद हो।