Friday, October 12, 2012

सिंदूरी आभा


1सिंदूरी आभा
सुनहरा  गहना
साँझ है सजी .

2 अम्बर संग
अवनि का मिलन
संध्या बेला में

3 सुनहरा है
प्रकृति का बंधन
स्वर्णिम पल

4 उषाकाल में
केसरिया चुनर
हिम पिघले . 

5 शूल जो मिले 
 हम तो नहीं हारे
  छु के गगन .


6 छु लिया जहाँ
मिला श्रम का मोल
सुहानी भोर 


7 सुनहरा है
आने वाला सबेरा
नया जीवन

8 पाया है जहाँ 
सुनहरा आसमां
कर्मो से सजा .


9 हरीतिमा की 
भीनी चदरिया 
 सावन भादो 

10 नयना प्यासे 
प्रभु दरसन के 
सुनो अरज 

11 पाखी है मन 
चंचल चितवन 
 नैना सलोने .

 
-शशि पुरवार 


13 comments:

  1. बहुत प्यारी और अर्थमयी क्षणिकायें।

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  2. उषाकाल में
    केसरिया चूनर
    हिम पिघले

    बहुत ही सुंदर। बेजोड़ हैं, सभी हाइकू।

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  3. सभी हाइकु बहुत सुंदर .....!!
    शुभकामनायें ....!!

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  4. भावों से पूर्ण
    है हाइकु
    अंतर्मन को छूती

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  5. उषाकाल में
    केसरिया चूनर
    हिम पिघले,,,,

    बेहतरीन भावों से परिपूर्ण हाइकू ,,,,,,शशि जी,बधाई,,,,

    MY RECENT POST: माँ,,,

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  6. बहुत सुन्दर हायेकु शशि.....

    प्रकृति के सभी रंग लिए...

    सस्नेह
    अनु

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  7. बेहद खूबसूरत रंगों से सजे मनभावन हाइकु पढ़कर मन खुश हो गया, बधाई शशि जी :))

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  8. शशि जी ११ की ११ हाइकु एक से बढ़कर एक लिखी है आपने, पढ़कर तरोताजा हो गया, खूबसूरत बधाई स्वीकारें

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  9. बहुत खूब ....कमाल के हाइकु

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  10. सुंदर भावपूर्ण हाइकू !
    सादर !!!

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  11. Replies
    1. sabhi mitro ka tahe dil se aabhar aapne apne anmol shabdo se hamen gauranvit kiya .........shashi purwar

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