Wednesday, April 24, 2013

अनुबंध है यह प्रेम का .......शाश्वत




रूह में बसा है एक
शबनमी एःसास
शब्दों से परे,
झिझकती साँसे
कुछ सकुचाई सी 
और अधर पर लगे है
लज्जा के ताले!
पलके झुकी झुकी
मुस्काती सी
एक लचीली डाल !
और
बह रहे है सपने
मन के प्रांजल में
पर
न कोई वादा ,न कसमे
बस हाथो को थाम
उँगलियों ने कह दिए
सात  वचन!
अनुबंध है यह प्रेम  का
अनुरक्त  रहे 
विश्वास के बीज से!
रिश्ते खेलते है सदैव    
दिल और  दिमाग
के पत्तो से ,पर
खिलखिलाता है
जीवन का बसंत !
मिलन है  यह
आत्मा  से  आत्मा का
शाश्वत  प्रेम का,
सत्य वचन ,बंधन
जन्मो जन्मो का ....!
 24.04.13
 ---------    शशि पुरवार






















17 comments:

  1. The way you concluded it is just lovely. It is a bond for many many ages. Beautiful poem.

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  2. मधुर छाँह है संबंधों की..

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  3. सुंदर प्रस्तुति......जन्मों जन्मों का बंधन .

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  4. मन के भीतर उपजते प्रेम के अनुबंध की
    सुंदर अनुभूति
    सुंदर रचना
    गजब की प्रस्तुति


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  5. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच चौराहे पर खड़ा हमारा समाज ( चर्चा - 1225 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. क्षमा करें... इससे पूर्व की टिप्पणी में दिन गलत हो गया था..!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार के चर्चा मंच चौराहे पर खड़ा हमारा समाज ( चर्चा - 1225 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. बंधन जन्मों का साथ वचनों से बढ़कर !
    खूबसूरत भावाभिव्यक्ति !

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  9. अनुबंध है यह प्रेम का
    अनुरक्त रहे
    विश्वास के बीज से!

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  10. ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ..!!!

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  11. ख़ूबसूरत अनुबंध, अनुबंध की ख़ूबसूरत अनुभूति सुंदर रचना******जीवन का बसंत !
    मिलन है यह
    आत्मा का आत्मा से
    शाश्वत प्रेम का,
    सत्य वचन ,बंधन
    जन्मो जन्मो का ....

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  12. बस एक प्रेम का अनुबंध ही जीवन भर रहता है ... बाकी सब बेमानी होता है ...
    मधर रचना ...

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  13. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना,आपका आभार.

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  14. यह प्रेम का बंधन ही शाश्वत है...बहुत ख़ूबसूरत रचना...

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