1
सिमटे नभ में तारे
दिलकश चाँद खिला
हम दिल देकर हारे ।
2
फैली शीतल किरनें
मौसम भी बदला
फिर छंद लगे झरने ।
3
पूनो का चाँद खिला
रातों को जागे
चातक हैरान मिला।
4
हर डाली शरमाई
चंदा में देखे
प्रियतम की परछाई .
5
रातों चाँद निहारे
छवि इतनी प्यारी
मन में चाँद उतारे .
शशि पुरवार
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बहुत ही सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति...
ReplyDeleteचित्र तो सच में बहुत दिलकश लगाया है...
:-)
खूबशूरत चित्रों से सजी धजी प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDelete..
ReplyDeleteदिलकश चाँद खिला
हम दिल देकर हारे ।
बहुत सुंदर लिखा है , बधाई !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (27-10-2013)
जिंदगी : चर्चा अंक -1411 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर चित्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
sundar ......
ReplyDeleteप्यारी प्रेम प्रतीक्षा
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