Tuesday, January 13, 2015

नदिया तीरे


१ 
नया विहान
शब्दों का संसार
रचें महान

झुकता नहीं
आएं लाख तूफ़ान
डिगता नहीं

मन चंचल
मचलता मौसम
सर्द है रात

नदिया तीरे
झील में उतरता
हौले से चंदा

बिखरे मोती
धरती के अंक में
फूलों की गंध

एक शाम
अटूट है बंधन
दोस्ती के नाम

साथ तुम्हारा
महका तन मन
प्यार सहारा
 शशि पुरवार

12 comments:

  1. नदिया तीरे
    झील में उतरता
    हौले से चंदा ..
    बहुत ही लजवाब ... नाजुक हाइकू ...
    कुछ शब्दों में लम्बी कहानी लिखी हो जैसे ...

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  2. सुन्दर हाइकु

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  3. आपकी लिखी रचना बुधवार 14 जनवरी 2015 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  4. देखन में छोटे लगे पर घाव करें गंभीर..सुंदर प्रस्तुति।

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  5. आपकी हर रचना बहुत गहरी और मारक होती है .... बहुत सुन्दर ..

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  6. ​बहुत ही बढ़िया ​!

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  7. सभी बहुत सुन्दर हाइकू है ....

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  8. बूँद में सागर सामान उत्कृष्ट हाइकू ! बहुत सुन्दर !

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  9. बहुत सुन्दर और प्रभावी हाइकु...

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  10. सरस-सार्थक हाइकु.

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