Saturday, April 25, 2015

जब मुकद्दर आजमाना आ गया




जब  मुकद्दर आजमाना आ गया
वक़्त भी अपना सुहाना आ गया

झूमती हैं डालियाँ गुलशन सजे
ये समां भी कातिलाना आ गया

ठूंठ की इन बस्तियों को देखिये
शामे गम महफ़िल सजाना आ गया

आदमी  जब  राम से रावण बने
आग में खुद को जलाना आ गया

दर्द जब मन की  हवेली के मरे
रफ्ता रफ्ता मुस्कुराना आ गया

भागते हैं लोग अंधी दौड़ में
मार औरों को गिराना आ गया

जालिमों के हाथ में हथियार हैं
खौफ़ो वहशत का ज़माना आ गया

मौत से अब डर नहीं लगता मुझे
जिंदगी को गुनगुनाना आ गया

-- शशि पुरवार

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs. Top 10 Website

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    1. thank you so much vadhiya ji .... but i am not sir ... :)

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  3. मौत से अब डर नहीं लगता मुझे
    जिंदगी को गुनगुनाना आ गया ,
    यही फलसफा है जो हमे जीना सीखा सकता है ! शशि जी , अति सुंदर

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  4. मौत से अब डर नहीं लगता मुझे
    जिंदगी को गुनगुनाना आ गया
    ...वाह..उम्दा...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-04-2015) को "नासमझी के कारण ही किस्मत जाती फूट" (चर्चा अंक-1957) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. आप सभी माननीय मित्रों का तहे दिल से आभार

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  6. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...

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  7. मौत से अब डर नहीं लगता मुझे
    जिंदगी को गुनगुनाना आ गया ..
    बहुत खूब .. जब जिंदगी को गुनगुनाना आ जाता है पब सारे डर हवा हो जाते हैं ... बहुत ही लाजवाब शेर इस सुन्दर ग़ज़ल का ...

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  8. बहुत खूब
    मंगलकामनाएं आपको !

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  9. इस सुन्दर गजल के लिए दिल से आभार।

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  10. बस जिंदगी को गुनगुनाना आ जाये तो सब कुछ अपने आप ही आ जाता है
    अच्छी गज़ल

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  11. मैं आशा करूंगा कि मुझे समय मिलेऔर मैं आपकेब्लाग को पूरा पढ लूं... मेरे ब्लाग पर भी आपको आने का न्योता भेज रहा हूं...
    चौखट पर आइये...

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