छेड़ो कोई तान सखी री
फागुन का अरमान सखी री
कुसुमित डाली लचकी जाए
कूके कोयल आम्बा बौराये
गुंचों से मधुपान
सखी री
गोप गोपियाँ छैल छबीले
होठों पर है छंद रसीले
प्रेम रंग का भान
सखी री
नीले पीले रंग गुलाबी
बिखरे रिश्ते खून खराबी
गाउँ कैसे गान
सखी री
शीतल मंद पवन हमजोली
यादों में सजना की हो ली
भीगा है मन प्रान
सखी री
पकवानों में भंग मिली है
द्वारे द्वारे धूम मची है
सतरंगी परिधान
सखी री
फागुन का अरमान सखी री
- शशि पुरवार
आप सभी मित्रों को सपरिवार होली की रंग भरी शुभकामनाएँ।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-03-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2291 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुंदर फागुनी गीत
ReplyDeleteवाह वाह बहुत सुन्दर गीत बधाई जी
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