Thursday, December 7, 2017

जोगन हुई सुगंध

 1 
जीवन भर करते रहे, सुख की खातिर काम 
साँसे पल में छल गयीं,  मौत हुई बदनाम 
 2 
माता के आँगन  खिला, महका हरसिंगार 
विगत क्षणों की याद में, मन काँचा कचनार। 
 3  
सुख सुविधा की दौड़ में, व्याकुल दिखते नैन 
मन में रहती लालसा, खोया दिल का चैन। 
 4 
कितने आभाषी हुए, नाते रिशतेदार 
मिले सामने तब दिखा, बंद हृदय का द्वार 
 5 
खुद को वह कहते रहे, प्रिय अंतरंग मित्र 
समय के कैनवास पर, स्वार्थ भरा चलचित्र 
 6 
सड़कों के दोनों तरफ, गंधों भरा चिराग 
गुलमोहर की छाँव में, फूल रहा अनुराग 
 7 
मन के आगे जीत हैं, तन के पीछे हार 
उम्र निगोड़ी छल रही, जतन हुए बेकार। 
 8 
मंदिर में होने लगा, कैसा कारोबार 
श्रद्धा के दीपक तले, पंडो का दरबार।


मंदिर में होने लगा , कैसा कारोबार 
श्रद्धा के दीपक तले, पंडो का दरबार। 

10 
गॉँवों में होने लगे, शहरों से अनुबंध
कंकरीट के देश में, जोगन हुई सुगंध
11
नैनों के दालान में, यादों के जजमान
गुलमोहर दिल में खिले, अधरों पर मुस्कान
12
रात चाँदनी मदभरी, तारें हैं जजमान 
नैनों की चौपाल में, यादें हैं महमान।
13  
बूँदों ने पाती लिखी, सौंधी सी मनुहार
मन चातक भी बावरा, रोम रोम झंकार 
14  
थर थर होतीं घाटियाँ, खूनी मंजर खेल 
सुख के पौधे खा रही, नफरत जन्मी बेल
15  
जीवन में खिलते सदा, सद्कर्मों से फूल 
बोया पेड़ बबूल का, चुभते इक दिन शूल 
16  
सावन भी रचने लगा, बूंदों वाले छंद 
हरियाली ऐसी खिली, छाया मन आनंद। 
शशि पुरवार
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15 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-12-2017) को "मेरी दो पुस्तकों का विमोचन" (चर्चा अंक-2811) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद रचना ,.

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  3. बहुत ही प्रेरक रचना ... बधाई

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  5. वाह !!बहुत खूब ।

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  6. पढ कर आनन्द आ गया

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  7. सभी पंक्तियाँ बहुत ही मर्म स्पर्शी और सार्थक हैं | पढ़कर अच्छी लगी | सस्नेह सादर शुभकामना |

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  8. aap sabhi ka hraday se dhnyavad aapki anmol tippni hamare liye gaurav hai . sadar

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  9. बहुत ही बढ़िया रचना ... !

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