Saturday, February 2, 2019

धूप आँगन की

मस्कार मित्रों आपसे साझा करते हुए बेहद प्रसन्नता  हो रही है कि--

   शशि पुरवार का दूसरा संग्रह  * " धूप आँगन की " ** भी बाजार में उपलब्ध है।

धूप आँगन की " जैसे आँगन में चिंहुकती हुई नन्ही परी की अठखेलियां, कभी
ठुमकना तो कभी रूठ जाना,कभी नेह की गुनगुनी धूप में पिघलता हुआ मन है ,
कभी यथार्थ की कठोर धरातल पर पत्थरों सा धूप में सुलगता हुआ तन है . कभी
बंद पृष्ठों में महकते हुए मृदु एहसास हैं  तो कहीं मृगतृष्णा की सुलगती
हुई रेतीली प्यास है। कहीं स्वयं  के वजूद की तलाशती हुई धूप है तो  कहीं
विसंगतियों में सुलगती हुई  धूप की आग है ।  हमारे परिवेश में बिखरे हुए
संवेदना के कण है - धूप    का आँगन

क्यों न अपने स्नेह की नर्म धूप से सहला दें।  आओ इक सुन्दर सा आकाश बना ले।
हमारे प्रयास आपके दिलों ने इक छोटा सी जगह बना ले।  आंगन की धूप को आप
अपने हृदय से लगा ले. हम आपके प्यार को अपना आकाश बना ले। आंगन की धूप से
सुप्त कणों को जगा दे।

शशि पुरवार

10 comments:

  1. बहुत अच्छा लगा , यह बहुत अच्छी रचना है आप का बहुत धन्यवाद !
    Visit exam notes!

    ReplyDelete
  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/02/2019 की बुलेटिन, " डिप्रेशन में कौन !?“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  3. बहुत बधाई सुंदर प्रकाशन हेतू।
    प्रस्तुत कविता बहुत सुंदर।।

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (04-02-2019) को चलते रहो (चर्चा अंक-3237) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  5. जय मां हाटेशवरी...
    आप सभी को नव-वर्ष 2019 की पांच लिंक परिवार की ओर से अग्रिम शुभकामनाएं.....

    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 05/02/2019
    को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  7. बेहतरीन ।।।। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय शशी पुरवार जी।

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.