Friday, August 9, 2019

किताब पेड लगाअो


हिंदी साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार राजकुमार जैन राजन से मेरा व्यक्तिगत परिचय नही हैं.   उनकी किताब पेड लगाअो से उन्हें जानने का मौका मिला. उनकी बाल रचनाअों व उनके काव्य की अभिव्यक्ति ने एक ही बार मे किताब पढने के लिए आग्रहित किया. अपनी बात कहने में कवि सक्षम है. बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों की मनोदशा  को व्यक्त करना अासान नही होता है. किताब के माध्यम से  कवि ने बच्चों की मनोदशा को व्यक्त करने का सफल प्रयास किया है.  इसके लिये बच्चों की मनोदशा को समझना जरूरी है, जिसमे कवि राजकुमार जैन राजन जी सफल है.

रोबोट दिला दो राम, मत छीनो बचपन ...आदि  कविता के माध्यम से आज के संदर्भ में  बस्ते के बोझ तले दबे हुए नन्हें विधार्थी  की पीडा साफ नजर आती है. आज बस्ते के बोझ तले मासूम बचपन मुरझाने लगा है. आज बच्चों की वह खिलखिलाती हँसी नजर नहीं आती अपितु पीठ व कंधे का दर्द उनके चेहरे से छलकता है.

नही देखती जात पात जल बरसाती एक साथ, 1
रूको नही मंजिल से पहले / हमको सिखलाती रेल2
 प्यारी दुलारी लगती हरे पेड की छाँव   3
मौसम अच्छा नही अभी......पानी में यदि रहे भीगते..चढ जायेगा बुखार ...4
आदि  कविता के माध्यम से बच्चों को खेल खेल में  संस्कार व  ज्ञान  प्रदान किया गया  है. पढने के साथ बच्चों के खाने व दूसरों के टिफिन को देखकर ललचाने की नैसर्गिक आदत के साथ मचलने व माँ से अपनी बात मनवाने का  सुंदर प्रयास है


 मम्मी अब तो दया करो रूप लंच का नया करो...  के माध्यम से समय के साथ  लंच का बदलता स्वरूप बच्चों की कोमल मन के भाव को मासूमियत से व्यक्त करता है. फलों के राजा आम हो या अच्छी बात नही जैसी कवितायें बच्चों को सीख देती हुई सफल बाल कविताएं है.

जंगल दिवस मनाया,  कविता के द्वारा कवि ने जंगल का महत्व बच्चों को बहुत अच्छे से समझाया है . वहीं नंन्ही चीटीं के माध्यम से बच्चों को श्रम व इमानदारी का पाठ पढाया है.

फिर आअो बापू कविता के द्वारा कवि ने जहाँ आज की समसामायिक स्थिति पर खुला प्रहार किया है.  वहीं इससे बच्चों को  आज समाज में हो रहे प्रसंगो से भी जोडा हैं.

पढने 2व पुस्तक का महत्व समझाती बाल कविता के साथ कवि ने महावीर, एेसा काम  न करना ..आदि कविता के माध्यम से बच्चों को धर्म , संस्कार व संस्कृति का   ज्ञान  देकर उन्हे शिक्षा का पाठ है. वहीं नदी के माध्यम से बच्चों की जिज्ञासा व कल्पना को बखूबी साकार किया है . प्यारे गाँव नामक  कविता से बच्चों को गाँव की सौधीं खुशबू व पहचान से रूबरू कराकर उन्हें वहाँ की माटी से जोडा है, गाँव का सौंधापन शहरों में नही मिलता है. नीम के गुण, मीठी नींद, पेड बचाअो, पानी को सहेजे,आदि रचनाएं पर्यावरण से जोडती बच्चो को  ज्ञान  के साथ उन्हे सहेजने के लिए सजग करती है.

समय के साथ अाधुनिक तकनीको से जोडती रचनाएँ बाल कविता के माध्यम से बच्चों को कंप्यूटर भैया, इंटरनेट आदि की  जानकारी देकर उन्हे खेल खेल में सरलता से जिज्ञासा द्वारा जोडने का सफल प्रयास करती हैं. ।सर्दी, नानी का घर आदि कविता बच्चो के मनोविज्ञान को व्यक्त करती है .

इस संग्रह में मुझे एक कविता बेहद पंसद आई . इस कविता के माध्यम से खेल खेल में बच्चो को अक्षर  ज्ञान के साथ साथ पढाना व  नन्हें मस्तिष्क में ज्ञान का संचार करना बेहद आसान बना दिया है. अक्षर  ज्ञान  के साथ अच्छी सीख देती हुई कविता बच्चों में निसंदेह अच्छे संस्कार रोपित करेगी.
तूफानों के दीपक , जलते दीपक कविता बच्चों को विषम परिस्थिति में भी लडने व हौसला प्रदान करना सिखाते है.

कुल मिलाकर बालकों की मानसिक स्थिति को बखूबी उजागर किया गया है.  यह पुस्तक बाल मनोविगान के अनुरूप ही है व बालको को जोडने में सक्षम है. कवि बेहतर ढंग से बाल मनोविज्ञान  को  व्यक्त करने व बाल पाठकों के साथ बडों को जोडने में सफल रहा है. बस कही कही कविता के कला पक्ष में  यदि गीत के शिल्प व गेयता को नजर अंदाज किया जाए तो पेड लगाअो संग्रह   अपनी बात कहने में पूर्णत: सफल है.  आ. राजकुमार जैन राजन जी को सुंदर संग्रह हेतु बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ .

शशि पुरवार



4 comments:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-08-2019) को " मुझको ही ढूँढा करोगे " (चर्चा अंक- 3424) पर भी होगी।


    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….

    अनीता सैनी

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  2. मेरे बाल कविता संग्रह की उत्कृष्ट समीक्षा के लिए हृदय से आभार।
    ●राजकुमार जैन राजन, आकोला, राजस्थान

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  3. सुन्दर समीक्षा

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  4. This comment has been removed by the author.

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