सपनों
में रंग भरे
सपनो
में रंग भरे
नैना सजल हुये जितने भी जतन करे। २ पहन रहे हैं गहना हार बिंदी कंगन फूल खिले मन, अंगना ३ छेड़ रही है साली जीजा घर आये खुशियों की दीवाली ४ फिर सजनी ने माँगा सोने का गहना साजन बोले ताँगा ५ संध्या में दीप जलें खुशियों के पाहून घर - अँगना ज्योति खिले ६ यह चंदा मेरा है मन को अति भाये तन, रूप चितेरा है ७ सपनो में रंग भरो नैना सजल हुये जितने भी जतन करो। ८ पहन रहे हैं गहना हार बिंदी कंगन फूल खिले मन, अंगना |
९ छेड़ रही है साली जीजा घर आये खुशियों की दीवाली १० फिर सजनी ने माँगा सोने का गहना साजन बोले ताँगा ११ संध्या में दीप जलें खुशियों के पाहून घर - अँगना ज्योति खिले १२ यह चंदा मेरा है मन को अति भाये तन, रूप चितेरा है १३ बच्चों की शैतानी माँ बचपन जीती नयनों झरता पानी १४ माँ ममता की धारा पावन ज्योति जले मिट जाए अँधियारा १५ मन चंदन सा महके ममता का आँचल भोला बचपन चहके |
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 जून जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअच्छे माहिए रचे हैं आपने।
ReplyDeleteयशोदा जी शास्त्री जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteवाह बेहतरीन
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