1
नदिया- तीरे
झील में उतरता
हौले से चंदा
2
बहती नदी
आँचल में समेटे
जीवन सदी
2
सुख और दुख
नदी के दो किनारे
खुली किताब
3
सुख की धारा
रीते पन्नों पर भी
पवन लिखे
4
दुख की धारा
अंकित पन्नों पर
जल में डूबी
5
बहती नदी
पथरीली हैं राहें
तोड़े पत्थर
6
वो पनघट
पनिहारिन बैठी
यमुना तट
7
नदी -तरंगे
डुबकियाँ लगाती
काग़ज़ी नाव
8
लिखें तूफ़ान
तक़दीरों की बस्ती
नदिया धाम
9
बहता पानी
विचारों की रवानी
नदिया रानी
-0-
शशि पुरवार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 24 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-08-2021) को चर्चा मंच "विज्ञापन में नारी?" (चर्चा अंक 4167) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
aapka hardik dhnyawad
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसुंदर भाव सुंदर शब्द चयन।
aapka hardik dhnyawad
Deleteवाह ! नदी की धारा में बहते बहुत सुन्दर हाइकू !
ReplyDeleteमनमोहक सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव सृजन ।
ReplyDeleteaap sabhi ka tahe hraday se abhar
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ReplyDeleteइंटरनेट का आविष्कार किसने किया ?
सुंदर सृजन
ReplyDeletebadi hi achhi rachna hai, thanks
ReplyDeleteZee Talwara
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ژورنال معاملاتی چست ؟
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