Wednesday, April 11, 2012

वो पल वह मंजर.............!

 
वो पल
वह मंजर
लूटता सा ,
बिस्फारित नयन

वो लम्हा
दिल दहलता
विव्हल रूदन
चीत्कार
मचा हाहाकार
छितरे मानव अंग
बिखरा खून
सूखे नयन

उस क्षण
फैलती आँखे
रूक गयी साँसे
भयावह विस्फोट
गोलियों की बौछार
आतंकी तांडव
वो काली स्याह रात
मानवता की हार
चकित नयन

सुनसान रस्ते
भयभीत चेहरे
ठहरती धड़कन
आने वाला लम्हा
ख़त्म किसका जीवन
सिसकियाँ प्रार्थना
मौत का सामना
ठहर गया वक्त
छलकतेनयन
वो पल
वह मंजर .............!
:--शशि पुरवार
 

16 comments:

  1. आँखों के आगे घूम गया वो दर्दनाक मंज़र............

    गहन अभिव्यक्ति..
    सस्नेह.

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  2. रोंगटे खड़े करने वाली सशक्त प्रस्तुति....रचना के भाव अंतस को झकझोर देते हैं...बहुत सुन्दर

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  3. waah bahut hi sundar lagi post.

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  4. maut kaa saamnaa
    ruh kaa kaanpnaa
    manvyathit.....

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  5. मार्मिक और संवेदनशील

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  6. मार्मिक और संवेदनशील

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  7. atank ki saya ka sajeev chitran .....bahut hi bhavpoorn prastuti ..badhai Shashi ji

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  8. सुन्दर सृजन, सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

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  9. बहुत संवेदनशील रचना निशब्द कर दिया आपने आपकी सोंच और लेखनी को नमन

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  10. बेहतरीन भाव पुर्ण निशब्द करती रचना,बहुत सुंदर कोमल अभिव्यक्ति,लाजबाब प्रस्तुति,....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....

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  11. Bahut sundar, the ending is mind blowing. I wish I can borrow few phrases from here for a hindi poem.

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  12. अनुपम भाव लिए मार्मिक सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट .

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  13. आतंक पर एक मार्मिक कविता |

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