Tuesday, April 17, 2012

........यह जीवन .....

 
 ..........यह जीवन . ......
 यह जीवन
कर्म से पहचान
तन ना धन 
गुण से चार चाँद
आत्मिक है मंथन .

यह जीवन
तुझ बिन है सूना
हमसफ़र
वचन सात फेरे
जन्मो का है बंधन .

यह जीवन
कमजोर है दिल
चंचल मन
मृगतृष्णा चरम
कुसंगति लोलुप .

यह जीवन
एक खुली किताब
धूर्त इंसानों
से पटा सारा विश्व
सच्चाई जार जार .

यह जीवन
वक़्त पड़ता कम
एकाकीपन
जमा पूँजी है रिश्ते
बिखरे छन - छन .

यह जीवन
अध्यात्मिक पहल
परमानन्द
भोगविलासिता से
परे संतुष्ट मन .

यह जीवन
होता जब सफल
पवित्र आत्मा
न्यौझावर तुझपे
मेरे प्यारे वतन .

यह जीवन
नश्वर है शरीर
पवित्र मन
आत्मा तो है अमर
मृत्यु शांत निश्छल .

:--------शशि पुरवार
 

16 comments:

  1. bahut khoobasoorat srijan, aabhaar

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  2. बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  3. वाह................

    बहुत बहुत सुंदर ..................
    भाव भी... लय भी......लाजवाब पोस्ट शशि जी.

    सस्नेह.

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  4. bahut bahut sundar ....ye jeevan ek khuli kitab

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  5. बेहतरीन प्रस्‍तुति

    कल 18/04/2012 को आपके इस ब्‍लॉग को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    ... सपना अपने घर का ...

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  6. जिसने जान लिया सब
    उसका जीवन सफल है

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  7. पूरा जीवन दर्शन समाया है ...सुंदर प्रस्तुति

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  8. bahut sundar..givn ka gahan rahasay....

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  9. बढ़िया प्रस्तुति
    सुंदर भाव

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  10. bahut hi sundar prabhavshali bhavon ke sath ....sadar abhar .

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  11. गहन जीवन दर्शन दर्शाती बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  12. सच में खूबसूरत शब्द रचना के साथ ...अभिव्यक्ति भी सटीक हैं

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