मेरी संगिनी ......!
1 )मन का हठ
दिल की है तड़प
रूठी कलम .
2)कहाँ से लाऊं
विचारो का प्रवाह
शब्द है ग़ुम.
3)कैसे मनाऊं
कागज कलम को
हाथ से छुठे .
4)मेरी संगिनी
कलम तलवार
पक्की सहेली
5)
प्यासा मन
साहित्य की अगन
ज्ञानपिपासा .
6)
प्यासी धरती
है तपती रेत सी
मेघ बरसो .
7) समंदर के
बीच रहकर भी
रहा मै प्यासा .
8 )
अश्क आँखों से
सुख गए है जैसे
है रेगिस्तान .
9)
प्यासी ममता
तड़पता आँचल
गोदभराई .
:--शशि पुरवार
बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु....
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन सुंदर हाइकू ,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
कुछ शब्दों में गहरी बात ... सभी हाइकू कहते हुवे ...
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
सुन्दर...........
ReplyDeleteसभी हायेकु गहन भाव लिए हैं....
बहुत खूब.
shabdon se gehn rishta .
ReplyDelete....बड़ी सुन्दरता से बांधा है भावों को कविता में!
ReplyDeletehyku specialist...:)
ReplyDeletehamara to dimag hi nahi chalta is vidha me!
har pankti apne me sarvashresht!
बहुत ही सार्थक हाइकु लिखे हैं आपने शशि जी !
ReplyDeleteवाह बहुत ही खूब
ReplyDeleteखूबसूरत हायकू...
ReplyDeleteप्रभावशाली