बारिश की बूंदे.....
बारिश की बूंदे
जरा जोर से बरसो
घुल कर बह जाये आंसू
न दिखे कोई गम
जिंदगी में नहीं मिलती है
जो , ख़ुशी चाहते हम ...!
अंदर -बाहर है तपन
दिल में लगी अगन
दर्द की भी चुभन
झिम झिम बरसे जब सावन
क्या अम्बर क्या नयन
बह जाये सारे गम
बूंदे जरा जोर से बरसो
भीग जाये तन -मन ....!
टप-टप करती बूंदे
छेड़े है गान
पवन की शीतलता
पात भी करे बयां
सौधी खुशबु नथुनो से
रूह तक समाये
चेहरे पर पड़ती बूंदे
मन के चक्षु खोल
अधरो पे मुस्कान बिछाये
गम की लकीरें पेशानी से
कुछ जरा कम हो जाये
बूंदे जरा जोर से बरसो ...!
:--शशि पुरवार
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एक क्षणिका भी छोटी सी --
आई बारिश
खिल उठा मन
झूम उठा मौसम
जीभ को लगी अगन
चाय -पकोड़े का
थामा दामन ,
गर्म प्याली चाय की
ले एक चुस्की , और
भूल जा सारे गम
इन खुशगवार पलों का
है बस आनंदम ....!
-----शशि पुरवार
barish ki bunde ab baras bhi ja:)
ReplyDeleteek pyara sawann geet:)
कविता में भीगे...और क्षणिका में बह गए.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
दोनों रचनायें लाज़वाब...
ReplyDeleteबड़े शिद्दत से आह्वान किया बारिश का
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,कविता और क्षणिकाए अच्छी लगी ,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST...:चाय....
तलब है बस दो बूंद बारिश की
ReplyDeletebahut hi achchha......... badhai swikar kree aap..
ReplyDeleteसुंदर स्वागत गीत ...
ReplyDeleteआभार आपका !