मन का पंछी.!
तांका
1 मन का पंछी
पंहुचा फलक में
स्वप्न अपने
करने को साकार
कर्म की बेदी पर .
2 बन के पंछी
उड़ जाऊ नभ में
शांति संदेश
पहुचाऊ जग में
बन के शांति दूत .
3 उड़ते पल
हाथ की लकीर पे
नया आयाम
रचो कर्म भूमि पे
तप के बनो सोना .
4 मूक पंछी में
जानू प्रेम की भाषा
नीड़ बनाता
रंगबिरंगे स्वप्न
तैरते नयनो में .
-------शशि पुरवार
बहुत ही बेहतरीन हाइकू |
ReplyDeletebahut hi sundar .bahut pyari uddan..
ReplyDeleteक्या बात
ReplyDeleteबहुत सुदर रचना
bahut bahut shukriya
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
वाह...सभी तांके सुन्दर...
ReplyDeleteअनु
ताकें में सजी बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ...: प्यार का सपना,,,,
waah!!!!
ReplyDeleteshashi kee kalam se ek bahut achhee rachnaa
कल 24/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सुंदर और ज़हीन तांके !
ReplyDelete~सादर !
बहुत सुन्दर.....
ReplyDelete:-) :-)
बहुत खूब
ReplyDeletewaah sabhi doston ka bahut bahut abhar
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