कवि ह्रदय में बजते है
जज्बातों के चंग
कलम जरा टेक लगाओ .
पल पल बदले नयनो का
सतरंगी बसंत
भावों का पंछी बहके
जन्में पद अनंत,
मन बावरा फिर कहे
खूब सुरीले छंद
कलम जरा टेक लगाओ।
कहीं बबूल कहीं फूल
की छन रही है भंग
अरहर सरसों पी रहे
कलियाँ भी है संग
भौरें नाचे बाग़ में
मच गयी हुरदंग
कलम जरा टेक लगाओ।
पूनो का चाँद खिला,करें
तारो से बतियाँ
अमा का नाग डसे, तो
छिटक जाए सखियाँ
तन्हाई की बेला में
शब्द बजाते मृदंग
कलम जरा टेक लगाओ।
टेसू से दहक रहा वन
उदासी भी लुढके
शाखों पर अमराई
मुस्काए छुप छुपके
बार बार नहीं दिखाता
मौसम अपने रंग
कलम जरा टेक लगाओ।
3/04/13
-----शशि पुरवार
वाह !!! खूबशूरत रचना,,,,
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना,आभार.
ReplyDeleteसही है ... कई बार ही नज़रें देख पाती हैं ... भरपूर प्राकृतिक आनंद भर लेना चाहिए ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर अनुभूति
ReplyDeleteमर्म को छूती रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बहुत बहुत बधाई
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.in/
चर्चा मंच परिवार आपका स्वागत करता है!
lay aur sur se sajjit bhavpoorn rchna.
ReplyDeletelay aur sur se sajjit bhavpoorn rchna.
ReplyDeleteवाह दीदी.... बेहद उम्दा :-)
ReplyDeleteशशि जी बिलकुल अछूते बिम्बों से सजी कविता अच्छी लगी |
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..बधाई
ReplyDeleteखूबशूरत रचना,.बधाई
ReplyDeleteLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल
बहुत सुन्दर रचना.........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, क़लम की शक्ति अप्रतिम है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत ....शशि जी
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