सिमटती जाये गंगा .........
दोहे ---
गंगा जमुना भारती ,सर्व गुणों की खान
मैला करते नीर को ,ये पापी इंसान .
सिमट रही गंगा नदी ,अस्तित्व का सवाल
कूड़े करकट से हुआ ,जल जीवन बेहाल .
गंगा को पावन करे , प्रथम यही अभियान
जीवन जल निर्मल बहे ,सदा करें सम्मान .
कुण्डलियाँ -----
गंगा जमुना भारती ,सर्व गुणों की खान
मैला करते नीर को ,ये पापी इंसान
ये पापी इंसान ,नदी में कचरा डारे
धर्म कर्म के नाम, नीर ही सबको तारे
मिले गलत परिणाम,प्रकृति से करके पंगा
सूख रहे खलियान ,सिमटती जाए गंगा .
-- शशि पुरवार
सटीक ... आज सारी ही नदियों का हाल यही है ।
ReplyDeleteवाह !!! बहुत बेहतरीन सटीक दोहे और कुण्डलियाँ, !!!
ReplyDeleteRECENT POST: जुल्म
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (07-04-2013) के “जुल्म” (चर्चा मंच-1207) पर भी होगी!
सूचनार्थ.. सादर!
आज की ब्लॉग बुलेटिन बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteजाने कब सुध ली जाएगी जीवनदायिनी नदियों की..... सार्थक रचना
ReplyDeleteगंगा नदी हरिद्वार से मैदानों में प्रवेश करती है वहीँ से कुछ विदेशी कंपनिओं और भारतीय लोगों ने इसमें गंदगी मिलाने का जेसे बेड़ा उठा रखा हो। इन लोगों को सबक सिखाना चाहिए और संसद में इनके खिलाफ कड़े कानून की व्यवस्था हो।
ReplyDeleteबहुत अच्छी सोच।
मेरे ब्लॉग पर भी आइये ..अच्छा लगे तो ज्वाइन भी कीजिये
पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
सार्थक प्रस्तुति ।।
ReplyDeleteगंगा जमुना भारती ,सर्व गुणों की खान
ReplyDeleteमैला करते नीर को ,ये पापी इंसान
सच्चाई तो यही है. संवेदनशील प्रस्तुति.
अति सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteजाने कब समझेंगे लोग?
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दोहे और कुण्डलियाँ -सटीक रचना
LATEST POSTसपना और तुम
बहुत ही बेहतरीन सुन्दर दोहे,आपका आभार.कभी हमारे ब्लोग्स के भी मार्गदर्शन करें.
ReplyDelete"ब्लॉग कलश"
भूली-बिसरी यादें
"स्वस्थ जीवन: Healthy life"
वेब मीडिया
दोनों ही छंद सुंदर और सारगर्भित......
ReplyDeleteसुंदर एवं भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteआप की ये रचना 12-04-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
jaise-jaise aadmi ka lobh badhta ja raha hai ganga simatti ja rahi hai .....
ReplyDeleteसुन्दर....गंगा की हालत वाकई चिंताजनक है.
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