हर मौसम में खिल जाता है नीम की ही ये माया है
राही को छाया देता है नीम का ही वो साया है ।
बिन पैसे की खान है ये तो तोहफ़ा है इक क़ुदरत का,
महिमा देखी नीम की जब से आम भी कुछ बौराया है ।
जब से नीम है घर में आया , जीने की मंशा देता,
मोल गुणों का ही होता है नीम ने ही बतलाया है ।
कड़वा स्वाद नीम का लेकिन गुणकारी तेवर इसके,
हर रेशा औषध है इससे रोग भी अब घबराया है ।
निंबोली का रस पीने से तन के सारे रोग मिटें
मन मोहक छवि ऐसी नीम ने लाभ बहुत पहुँचाया है
गाँव की वो गलियाँ भी छूटी ,छूटा घर का आँगन भी,
शहर में फैला देख प्रदूषण नीम भी अब मुरझाया है .
--- शशि पुरवार
अनुभूति नीम विशेषांक में प्रकाशित यह गजल .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (06-06-2013) को साहित्य में प्रदूषण ( चर्चा - 1267 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
निंबोली का रस पीने से तन के सारे रोग मिटें
ReplyDeleteमन मोहक छवि ऐसी नीम ने लाभ बहुत पहुँचाया है
गाँव की वो गलियाँ भी छूटी ,छूटा घर का आँगन भी,
शहर में फैला देख प्रदूषण नीम भी अब मुरझाया है . सुन्दर प्रस्तुति.
शानदार,नीम का गुणगान करती उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
एक बड़ा था पेड़ नीम का..बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteचरखा चर्चा चक्र चल, सूत्र कात उत्कृष्ट ।
पट झटपट तैयार कर, पलटे नित-प्रति पृष्ट ।
पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर ।
डालें शुभ शुभ दृष्ट, अनुग्रह करिए गुरुवर ।
अंतराल दो मास, गाँव में रहकर परखा ।
अतिशय कठिन प्रवास, पेश है चर्चा-चरखा ।
कडवा नीम गुणों की खान
ReplyDeleteसुन्दर रचना
सुन्दर ग़ज़ल , बधाई शशि जी .
ReplyDeleteशानदार रचना
ReplyDeleteनीम अनमोल है ..
ReplyDeleteसुंदर रचना ...नीम गुणों की खान है ...इसे मुरझाने से बचाना होगा ।
ReplyDeleteनीम की महिमा अपरम्पार है. बहुत सुंदर कविता.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...
ReplyDelete