१
पुलकित है
खिलखिलाते शिशु
हवा के संग।
२
बेकरारी सी
भर लूँ निगाहों में
ये नया जहाँ।
३
मै भी तो चाहूँ
एक नया जीवन
खिलखिलाता
४
साथ साथ ये
बढ़ रहे कदम
छू लूं आसमां।
५
मुस्कुरा रही
ये नन्ही सी गुडिया
थाम लो मुझे
६
प्रफुल्लित है
नन्हे प्यारे से पौधे
छूना न मुझे
७
दुलार करूँ
भर लूँ आँचल में
मेरा ही अंश
८
हरे भरे से
रचे नया संसार
धरा का स्नेह
-- शशि पुरवार
बहुत बढ़िया हाइकू
ReplyDeletelatest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
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ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति 12-09-2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत है
ReplyDeleteकृपया पधारें
धन्यवाद
सार्थक हाइकु
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु
ReplyDeleteहरे भरे से
ReplyDeleteरचे नया संसार
धरा का स्नेह
बेह्तरीन अभिव्यक्ति …!!गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.
कभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
बहुत सुन्दर..
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर क्षणिकायें।
ReplyDeletebhaut hi sundar....
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएं
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeletesabhi mitro ka tahe dil se abhaar , apna sneh banaye rakhen , aapki samiksha anmol hai hamare liye
ReplyDeleteकोमल क्षणिकाएँ।
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