Thursday, September 5, 2013

हृदय की तरंगो ने गीत गाया है। ।



हृदय की तरंगो ने गीत गया है
खुशियों का पैगाम लिए
मनमीत आया है

जीवन में बह रही
ठंडी हवा
सपनो को पंख मिले
महकी दुआ

मन में उमंगो का
शोर छाया है
भोर की सरगम ने  ,मधुर
नवगीत गाया  है।


भूल गए पल भर में
दुख की निशा
पलकों को मिल गयी
नयी दिशा

सुख का मोती नजर में
झिलमिलाया है
हाँ ,रात से ममता  भरा
नवनीत पाया  है।

तुफानो की कश्ती से
डरना नहीं
सागर की मौजों में
खोना नहीं

पूनों के चाँद ने
मुझे बुलाया है
रोम  रोम सुभितियों में
संगीत आया है।
ह्रदय की तरंगो ने गीत गया है।
 ------- शशि पुरवार



14 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  2. बेहद प्यारे भाव !!

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  3. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 07/089/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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  4. बहुत सुन्दर गीत, मन सदा ऐसे ही गीतमय रहे।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    गुरूजनों को नमन करते हुए..शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ।
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (06-09-2013) के सुबह सुबह तुम जागती हो: चर्चा मंच 1361 ....शुक्रवारीय अंक.... में मयंक का कोना पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. सुन्दर प्रस्तुति !!


    कृपया आप यहाँ भी पधारें और अपने विचार रखे धर्म गुरुओं का अधर्म की ओर कदम ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः13

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  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति..
    :-)

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  8. खूबसूरत गीत

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  10. खुबसूरत अभिवयक्ति......

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