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Monday, April 18, 2016
कुण्डलियाँ -- दिन गरमी के आ गए
दिन गरमी के आ गए, लेकर भीषण ताप धरती से पानी उड़ा, नभ में बनकर भाप नभ में बनकर भाप, तपिश से दिन घबराये लाल लाल तरबूज, कूल, ऐसी मन भाये कहती शशि यह सत्य, वृक्ष की शीतल नरमी रसवंती आहार, खिलखिलाते दिन गरमी . -- शशि पुरवार
आपने लिखा... कुछ लोगों ने ही पढ़ा... हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें... इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 19/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के अंक 277 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-04-2016) को "दिन गरमी के आ गए" (चर्चा अंक-2317) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आपने लिखा...
ReplyDeleteकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 19/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 277 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-04-2016) को "दिन गरमी के आ गए" (चर्चा अंक-2317) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर छंद ... वृक्ष ही हैं जो शीतलता का आभास देते हैं गर्मी में ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " चटगांव विद्रोह की ८६ वीं वर्षगांठ - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteभाप बन बरसेगा
ReplyDeleteतब मन हरसेगा
.सच अभी से बहुत गर्मी शुरू हो गयी है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सुंदर अक्स उभर कर आया गरमी की तपिश का। बधाई शशि जी।
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