Tuesday, November 8, 2016

जिओ जिंदगी -


Image result for hello phone


हाईटेक होती जिंदगी ने  दिमाग की बत्तियां जैसे गुल कर दी हैं, अँधेरे में जलता एक दीपक रौशनी का प्रतिक है  आज हाथों में  जलते मोबाइल की रौशनी से दुनियां  रौशन है, दशहरा हो या दिवाली बाजार में उपलब्ध नए संशाधन व्यापार को नयी ऊंचाई  प्रदान कर रहें हैं. जिओ और जीने दो की तर्ज पर जीने के मायने बदल गएँ हैं. पहले दिवाली पर मिठाई  बाँटी जाती थी आज फ्री नेट पैक का  तोहफा पाकर लोग खुद को भाग्यवान समझते हैं, चोर तो आखिर चोर ही होता है, एक अँगुली पकड़कर पूरा हाथ कब काट देगा, यह हाथ कटने के बाद ही पता चलता है. अब हाथ कटे या जेब बात एक ही हैं. आज बदल दो जिंदगी ने जिंदगी को सच में ही बदल दिया है। 
       अर्थव्यवस्था औंधे मुँह गिरकर भी ढोल बताशे बाँट  रही है. ह्रदय में धधकती आग गप्पे बाजी से ही संतुष्ट है. लोगों को जीने का माध्यम मिल गया है, पहले गॉँव में चौपाल लगती थी आज फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, हाइक , वाट्सअप की चौपाल लगती है. अलग बगल बैठे घर के दो लोग भी इस चौपाल का आनंद लेते है। बतकही आमने सामने कहीं कोसो दूर है.  पुराना नए रूप को धारण करके पुनर्जीवित हो गया है. महल हो या झोपडी थाली बिना मोबाइल -नेट के अधूरी है, आज भिखारी भी कहते है भैया कुछ न दो नेट पैक डलवा दो, जिंदगी तो जिओ के संग बन गयी। नया रंग अब जिओ के संग हाजिर है। 
सत्ता धारी  के मजबूत दाबे फुस्सी बम की तरह फट कर सत्ताहीन हो रहें हैं. इन्हें  किसी तिजोरी में ससम्मान बंद कर देना चाहिए।  आतंकवादी की जड़े मजबूत हो गयीं है , जैसे साक्षात् यमराज धरती पर उतर आएं हैं. देश में गाय -बैल की संख्या में वृद्धि हुई है, जहाँ बैल दिखा तो समझो  अपनी बारी आ गयी है, नगरनिगम पर केस दर्ज हैं  वह गाय बैलों की दादागिरी से परेशान होकर खुद ही दुबक कर बैठ गएँ है , आज सड़कों पर  गाय बैलों का राज्य फल फूल रहा है। गरीब चाय वाले को कुछ बोनस दे देते तो भला हो जाता।
        आतंकी रावणों ने इंसानों को उड़ाकर त्यौहार मनाना अपना धर्म समझ लिया है, जैसे सबकी साँठगाँठ हो गयी है, अस्पताल, पब्लिक, सरगना, अर्थव्यवस्था, सत्ता, सत्ताधारी कोई भी इससे अछूता नहीं रहा है. मँहगाई का बैल निरंतर अपनी सफलता की कहानी दर्ज कर रहा है. बादाम औंधे मुंह गिर गया है आलू ने सेंसेक्स की तरह अपनी ऊंचाई दर्ज की है, दिवाली में बम पटाखें की गूँज कैसी होगी ईश्वर जाने या सत्ता धारी जाने, अहंकार  के  रावण का कद बढ़ता जा रहा है , विनम्रता के राम को आज चिराग लेकर ढूँढना होगा।                
             हे राम का नया स्वरुप हाय राम हो गया है।  जिओ वाले बाबू अब सारे मंत्र सीखा देंगे।  हम तो दिवाली  पूजन की रस्म निभाकर  लक्ष्मी को खुश करने का प्रयास करेंगे, लक्ष्मी जी  के संग जिओ वाले बाबू की  किरपा बनी रहे।अब दिल मांगे मोर की तर्ज पर दिल कहता है जिओ वाले बाबू जरा गाना बजा दो, जिओ वाले बाबू जरा जीना सीखा दो। ...... हर दिन जिओ शुभकामनाएँ।    
शशि पुरवार 


     

10 comments:

  1. हैप्पी ब्लागिंग.

    ReplyDelete
  2. तेज़ी से बदलती दुनिया के नए रंग हैं ... इसके साथ बहना होगा ...

    ReplyDelete
  3. जियो के साथ जियो शान से

    ReplyDelete
  4. जियो के साथ जियो शान से

    ReplyDelete
  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.9.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2522 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. जियो वाले बाबा की जै !

    ReplyDelete
  7. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’घबराएँ नहीं, बंद नोटों की चाबुक आपके लिए नहीं - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    ReplyDelete
  8. दुनि‍या बदल रही है...सब कुछ..अच्‍छा लि‍खा है

    ReplyDelete
  9. badiya lekh ..duniya vakai badal gai hai ..

    ReplyDelete
  10. aap sabhi blogger mitron ka hraday se abhar, yun hi sneh banayen rakhen

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.