उड़े चिरैया
पंख फडफडाए
सूख रहे पात
भानू जलाए
जोहे है वाट
बदरा बुलाए...!
बहे न नीर
सूखे झरने ,तालाब
मचा हाहाकार
बंजर होते खेत
किसान बेहाल
फसल कैसे उगाये
घटाएँ जल्दी आ जाएँ ..!
तप रही भू
पवन भी जले
लू के थपेड़े
पंछी , प्राणी पे पड़े
सूखे कंठ
जल को तरसे
तके नभ ,
मेघ बुलाए..!
बदरा जल्दी आ जाए ...!
:_-शशि पुरवार
बदरा जल्दी आ जाए.
ReplyDeleteआपने ग्रीष्म से त्रसित जन की अति सुन्दर
कसमसाहट अभिव्यक्त की है.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार,शशि जी.
बेहतरीन रचना, शशि जी
ReplyDeleteमिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteआपका आना हुआ.....और बदरा बरस भी गए......
:-)
sundar bhaavon se paripoorn rachnaa
ReplyDeleteबदरा जल्दी आ जाए,,,,
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन भाव पुर्ण रचना,,,,,शशि जी,,,,
RECENT POST ,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,.
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
"बदरा जल्दी आ जाए " बहुत ही खूबसूरत रचना...
ReplyDelete**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
ReplyDelete~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
*****************************************************************
बेहतरीन रचना
दंतैल हाथी से मुड़भेड़
सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥
♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
*****************************************************************
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
'बदरा' का खूबसूरत आह्वान ...
ReplyDelete