1 स्नेहिल रिश्ता
ममता का बिछोना
माँ का शिशु से .
2
स्नेह बंधन
फूलो से महकते
हरसिंगार
3
झलकता है
नजरो से पैमाना
वात्सल्य भरा
4
दिल की बातें
दिल ही तो जाने है
शब्दों से परे .
5
प्रेम कलश
समर्पण से भरा
अमर भाव .
6
खामोश शब्द
नयन करे बातें
नाजुक डोर .
7
अनुभूति है
प्रेममई संसार
अभिव्यक्ति की .
8
बंद पन्नो में
ह्रदय के जज्बात
सूखते फूल .
9
दिल की पीर
बहती नयनो से
हुई विदाई .
10
जन्मो जन्मो का
सात फेरो के संग
अटूट नाता .
11
आग का स्त्रोत
विरह का सागर
प्रेम अगन .
12
खामोश साथ
अवनि - अम्बर का
प्रेम मिलन .
----------शशि पुरवार
बहुत उम्दा प्रस्तुति,सुंदर हाइकू,,,,,
ReplyDeleterecent post: बसंती रंग छा गया
prem ke ahsas ki sunder anubhuti
ReplyDeletebadhai
Behatareen bhav,anubhti pi charmotkars (hindi me likhne ki
ReplyDeletevyavystha blog se jod dijiye,pl.aap to computer ki hai)
सुंदर हाइकु रचनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहतरीन अभिव्यक्ति!!
ReplyDelete...बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!
sunder abhivyakti haiku dwara
ReplyDeleteभावनाओं को शब्द देते सुंदर हायकू ,सादर साधुवाद
ReplyDeleteप्रेम के सुनहरी लम्हों को चुरा के लिखे पल ... लाजवाब ...
ReplyDeleteप्रेम की सुन्दर परिभाषायें..
ReplyDeleteक्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
ReplyDeleteमेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
शुक्रिया शशि मेरी कविता को पसंद करने के लिए.
ReplyDeleteआपकी ये कविता पढ़ी . प्रेम के सारे भाव इसमें समाहित है .
बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करो.
विजय
www.poemsofvijay.blogspot.in