Sapne (सपने )

हिंदी कविताओं गीतों कहानियों की अभिव्यक्ति, अनुभूति व संवेदनाओं का अनूठा संसार ..

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Monday, September 5, 2016

क्रोध बनाम सौंदर्य -

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  आज सरकारी आवास पर बड़े साहब रंग जमाए बैठे थे. वैसे तो साहब दिल के बड़े गरम मिजाज है, लेकिन आज बर्फ़ीला पानी पीकर, सर को ठंडा करने में लगे हु...
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Monday, August 22, 2016

सुख की मंगल कामना

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बाबुल के अँगना खिला, भ्रात बहन का प्यार  भैया तुमसे भी जुड़ा, है मेरा संसार।  माँ आँगन की धूप है, पिता नेह की छाँव  भैया बरगद ...
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Monday, August 15, 2016

भारत माता की जय

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गाँव के नवोदित नेता ललिया प्रसाद अपनी जीत के जश्न में सराबोर कुर्सी का   बहुत ही आनंद ले रहे थे। कभी सोचा न था सरकारी कुर्सी ...
Sunday, July 24, 2016

अाँख जो बूढ़ी रोई

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१ खोई खोई चांदनी, खुशियाँ भी है दंग सुख दुख के सागर यहाँ, कुदरत के हैं रंग कुदरत के हैं रंग, न जाने दीपक बाती पल मे छूटे संग, समय...
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Friday, July 15, 2016

सुधि गलियाँ

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१  स्वप्न साकार मुस्कुराती है राहें  दरिया पार।  २  धूप सुहानी  दबे पॉँव लिखती  छन्द रूमानी।  ३  लाडो सयानी  जोबन ...
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Monday, July 11, 2016

मौसम से अनुबंध

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१  लहक उठी है जेठ की,  नभ में उड़ती धूल कालजयी अवधूत बन, खिलते शिरीष फूल।  २ चाहे जलती धूप हो, या मौसम की मार हँस हँस कर कहते सिरस, हिम्म...
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Thursday, July 7, 2016

क्यों न बहाएं उलटी गंगा....

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क्यों न बहाएं उलटी गंगा                 भाई  कलयुग है। सीधा चलता हुआ मानव हवा में उड़ने लगा है।  टेढ़े मेढ़े रस्ते सीधे लगने लगे है।...
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Friday, May 27, 2016

मज़बूरी कैसी कैसी --

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मज़बूरी कैसी कैसी ----   मज़बूरी शब्द कहतें ही किसी फ़िल्मी सीन की तरह, हालात के शिकार  मजबूर नायक –नायिका का दृश्य नज़रों के सम्मुख मन के...
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Wednesday, April 20, 2016

कुण्डलियाँ -- प्रेम से मिटती खाई

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1  अच्छाई की राह पर, नित करना तुम काज  सच्चाई मिटटी नहीं, बनती है सरताज   बनती है सरताज, झूठ की परतें खोले  मिट  जाए सं...
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Monday, April 18, 2016

कुण्डलियाँ -- दिन गरमी के आ गए

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दिन गरमी के आ गए , लेकर भीषण ताप  धरती से पानी उड़ा, नभ में बनकर भाप  नभ में बनकर भाप, तपिश से दिन घबराये  लाल लाल तरबूज, कूल, ऐसी मन भ...
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Tuesday, April 12, 2016

कुण्डलियाँ भरे कैसी यह सुविधा ?

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1  सुविधा के साधन बहुत, पर गलियाँ हैं तंग  भीड़ भरी सड़कें यहाँ, है शहरों के रंग  है शहरों के रंग, नजर ना पंछी आवे  तीस मंजिला...
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Friday, April 8, 2016

कुण्डलियाँ

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मँहगाई की मार से, खूँ खूँ जी बेहाल  आटा गीला हो गया, नोंचे सर के बाल नोचे सर के बाल, देख फिर खाली थाली  महँगे चावल दाल, लाल ...
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Monday, April 4, 2016

रात में जलता बदन अंगार हो जैसे।

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जिंदगी   जंगी   हुई , तलवार   हो   जैसे पत्थरों   पर    घिस   रही , वो   धार   हो   जैसे।  निज   सड़क   पर   रात   में ज...
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shashi purwar
नाम: शशि पुरवार।(100Women’s Achievers Of India ) जन्मतिथि: 22 जून1973ई0।जन्मस्थान: इंदौर,मध्यप्रदेश। शिक्षा: स्नातक-बी.एस-सी.विज्ञान। स्नातकोत्तर- एम.ए.राजनीति,दे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इंदौर) तीन वर्षीय हानर्स डिप्लोमाइन कम्प्यूटर साफ्टवेयरएंडमै नेजमेंटभाषाज्ञान-हिंदी, मराठी, अंग्रेजी सम्प्रति- लेखिका,स्वतंत्रलेखन,स्तंभकार प्रकाशितसाहित्य- १-व्यंग्यकीघुड़दौड़(व्यंग्यसंग्रह) २- धूपआँगनकी -( गद्यएवंपद्यसंपूर्णसाहित्य)३-मनकाचौबारा( काव्यसंग्रह) ४- जोगनीगंध(हाइकुसंग्रह )५- भीड़काहिस्सानही(गीत-नवगीतसंग्रह). अप्रकाशित साहित्य- 1) दोहासंग्रह, 2 ) कहानीसंग्रह, 3) समिक्षासंग्रह, 4) लेखसंग्रह. अनगिनत सम्मानों समेत कुछ - हिंदी विद्यापीठ भागलपुर : 'विद्यावाचस्पति सम्मान' ,* 'मिनिस्ट्री ऑफ़ वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट' द्वारा भारत की 100 women's Achievers of India 2016 सम्मान , * महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी के कर कमलों द्वारा सम्मानित - १०० महिला अचीवर्स सम्मान , 'हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान' 2016 , - Best Blogger Of the Month ( 2016 ) contact - shashipurwar@gmail.com
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