अम्बर जितनी ख्वाहिशें,सागर तल सी प्यास
छोटी सी यह जिंदगी, न होती उपन्यास 1
पतझर में झरने लगे, ज्यों शाखों से पात
ममता जर्जर हो गयी , देह हुई संघात 2
ममता जर्जर हो गयी , देह हुई संघात 2
अच्छे दिन की आस में, बदल गए हालात
फुटपाथों पर सो रही, बदहवास की रात 3
मनोरंजन के नाम पर, टीवी के परपंच
भूले - बिसरे हो गए, अपनेपन के मंच 4
जिनके दिल में चोर है, ना समझे वो मीत
रूखे रूखे बोल के , लिखते रहते गीत 5
बंद ह्रदय की खिड़कियाँ, बंद हृदय के द्वार
उनको छप्पन भोग भी, लगतें है बेकार 6
बैचेनी दिल में हुई , मन भी हुआ उदास
काटे से दिन ना कटा, रात गयी वनवास 7
शशि पुरवार
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १५ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteलाजवाब
वाह!!!
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १५ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteनिमंत्रण पत्र :
ReplyDeleteमंज़िलें और भी हैं ,
आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
लाजवाब
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteSuch a wonderfuil line, publish your book with best
ReplyDeleteOnline Hindi Book Publisher in India