पानी जैसा हो गया, संबंधों में खून
धड़कन पर लिखने लगे, स्वारथ का कानून
स्वारथ का कानून, बसी नैनों में माया
अब जी का जंजाल, लगे अपना ही साया
कहती शशि यह सत्य, लुफ्त बिसरे गुड़ धानी
बोतल में हैं बंद, आज पीने का पानी
जीवन तपती रेत सा, अंतहीन सी प्यास
झरी बूँद जो प्रेम की, ठहर गया मधुमास
ठहर गया मधुमास, गजब का दिल सौदागर
बूँद बूँद भरने लगा, प्रेम अमरत्व की गागर
कहती शशि यह सत्य, उधेड़ों मन की सीवन
भरो सुहाने रंग, मिला है सुन्दर जीवन
सत्ता में होने लगा, जंगल जैसा राज
गीदड़ भी आते नहीं, तिड़कम से फिर बाज
तिड़कम से फिर बाज, भूल बैठे मर्यादा
सिर पर रक्खा ताज, कुटिलता पहनी ज्यादा
कहती शशि यह सत्य, गली में भौंका कुत्ता
रंग बदलती रोज, फरेबी दुनिया सत्ता
एक सुहानी शाम का,दिलकश हो अंदाज
मौन थिरकता ही रहे, हृदय बने कविराज
हृदय बने कविराज, कलम भावों से खेले
लाल गुलाबी रंग, सुलगती पीर अकेले
कहती शशि यह सत्य, नहीं है बात पुरानी
हर धड़कन पर साज, शाम हो एक सुहानी
शशि पुरवार