shashi purwar writer

Showing posts with label मुक्तक. Show all posts
Showing posts with label मुक्तक. Show all posts

Friday, January 11, 2019









तन्हाई मुझको रास आने लगी है

याद की खशबू भी गहराने लगी है
पास होकर भी दूर हैं वह मुझसे
परछाई मुझे गले लगाने लगी है

शशि पुरवार

Monday, July 22, 2013

एक मुक्तक --


धरा खिलती है अंबर खिलता है
पौधे रोपिये जीवन मिलता है
उजियारा फैलता है कण कण में
धूप निकली जब सूरज जलता है .

- शशि पुरवार

सामाजिक मीम पर व्यंग्य कहानी अदद करारी खुश्बू

 अदद करारी खुशबू  शर्मा जी अपने काम में मस्त   सुबह सुबह मिठाई की दुकान को साफ़ स्वच्छ करके करीने से सजा रहे थे ।  दुकान में बनते गरमा गरम...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

🏆 Shashi Purwar — Honoured as 100 Women Achievers of India | Awarded by Maharashtra Sahitya Academy & MP Sahitya Academy