दरवाजे पर हुई आवाज से सुलोचना बाहर आई, २५ साल एक लड़का का छोटी सी गठरी लेकर खड़ा था।
"मम्मी जी, सूट के कपडे लाया हूँ, एकदम कम दाम में है "
" अच्छा लाओ दिखाओ "
"यह देखिये सिर्फ 5 ही सफारी सूट के सेट है। नामी कम्पनी है. बाहर दुकानों पर यह बहुत महंगे मिलते है। आप आधे से भी कम में ले लीजिये ,"
"कहाँ से लाये हो, इतने कम में कैसे बेच रहे , चोरी का सामान है ?" - सुलोचना की आवाज में कड़कपन आ गया।
"मम्मी जी आप ले लीजिये, मै झूठ नहीं बोलूँगा, मै कोई सेल्समेन नहीं हूँ, मै एक ट्रक ड्राइवर हूँ , हमेशा माल लेकर जाता हूँ, रास्ते में हम 4-5 पेकेट मैनेजर की मदद से निकालकर बेच देते है, जितने भी पैसे मिले वह हमारे खाने पीने और डीजल में खर्च कर देते हैं। वर्ना हमें सामान के साथ आने और जाने के लिए 2000 रूपए ही मिलते है। आप किसी से कुछ मत कहो , वर्ना मै पकड़ा जाऊंगा, आप इतने बड़े आदमी लोग हैं. झूठ नहीं बोल रहा हूँ , मै सिर्फ उन्ही के घर जाता हूँ जहाँ कोई सामान ले. अभी ये ले लीजिये बाद में अच्छे मेवे १ ०० रू . किलो के दे जाऊंगा . हम हर १५ दिन में यहाँ से गुजरते है "
" अच्छा अच्छा ठीक है , गरीब हो इसीलिए मदद कर देती हूँ। कितने में दोगे ?"
"1200 में ले लीजिये, बाहर इनका दाम 3000 है ,"
"नहीं कम करो, 500 में ही दे दो ,"
"ठीक है मम्मी जी, मुझे तो सिर्फ बेचना है अब इन्हे लेकर वापिस नहीं जा सकता। ६०० रुपय दे दीजिये. आप सभी पैकिट ले लीजिये , आप तो समझते हो चोरी का सामान लेकर नहीं घूम सकता हूँ "
"ठीक है 3 दे दो ....... "
" धन्यवाद मम्मी जी, मै बहुत से सामान लेकर जाता हूँ कभी मेवे रहते है कभी साड़ी , शक्कर वगैरह। आपको अगली बार 10 रू . किलो से शक्कर और 100 के भाव से मेवे दे जाऊंगा , आप लेती रहोगी तो हर बार कुछ न कुछ आपको लेकर दूँगा। बस आप किसी से कहना मत और मुस्कुराकर वहां से चला गया ."
सुलोचना के चहरे पर एक गर्वीली मुस्कान आ गयी. वह गर्व से यह मुझे किस्सा बता रही थी, कि मैंने चोरी का सामान नहीं लेती हूँ पर उस बेचारे बच्चे को पैसे की जरूरत थी. इसीलिए उसकी मदद कर दी.
-----शशि पुरवार