shashi purwar writer

Thursday, May 14, 2015

उजाले पाक है अच्छाईयों में ....


एक ताजा गजल आपके लिए -

कदम  बढ़ते रहे रुसवाइयों में
मिटा दिल का सुकूँ ऊँचाइयों में

जगत, नाते, सभी धन  के सगे हैं
पराये हो रहे कठनाइयों में

मेरे दिल की व्यथा किसको सुनाऊँ
जलाया घर मेरा दंगाइयों में

दिलों में आग जब जलती घृणा की
दिखा है रंज फिर दो भाइयों में

बुरी संगत  अंधेरों में धकेले
उजाले पाक हैं अच्छाइयों में

दिलों में है जवां दिलकश मुहब्बत
जुदा होकर मिले  परछाइयों  में

मिली जन्नत, किताबों में मुझे, अब
मजा आने लगा  तन्हाईयों में

---   शशि पुरवार 

सामाजिक मीम पर व्यंग्य कहानी अदद करारी खुश्बू

 अदद करारी खुशबू  शर्मा जी अपने काम में मस्त   सुबह सुबह मिठाई की दुकान को साफ़ स्वच्छ करके करीने से सजा रहे थे ।  दुकान में बनते गरमा गरम...

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