फेसबुकी
दीपावली –
फेक
का अंग्रेजी अर्थ है धोखा व
फेस याने चेहरा, दुनिया
में आभाषी दुनिया का चमकता
यह चेहरा एक मृगतृष्णा के समान
है जो आज सभी को प्यारा मोहित
कर चुका है. नित्य
समाचार की तरह सुपरफास्ट खबरे
यहाँ मिलती रहती है.कहीं
हँसी के ठहाके, कहीं
आत्ममुग्ध तस्वीरें, कहीं
प्रेम, कहीं
शब्दों की बंदूकें. हर
तरफ एक बड़े मौल का एहसास, जैसे
आज दुनियाँ हमारे पास है, साथ
है. जैसे
दुनियाँ बस एक मुट्ठी में समां
गयी है.
देश
में कुछ समय पहले सफाई अभियान
शुरू किया गया था. नेता
जी की वाणी का ओज और झाड़ू का
बोझ, दोनों
का करिश्मा ऐसा था कि देखने
वाले भी हक्के बक्के हो गए, वायरस
की तरह कचरा अभियान की बीमारी
ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त
में ले लिया था. अब
जिसे देखो वह अपनी तस्वीर और
झाड़ू के साथ हर जगह मौजूद
था, भले
की वहां कचरा न फैला हो, किन्तु
झाड़ू को सफ़ेद झक्क पोशाधारक
के साथ तस्वीरों में तबज्जो
मिलने का सौभाग्य प्राप्त
हुआ. कुछ
लोगों ने स्वयं कचरा वहाँ
फैलाया और सफाई अभियान का श्री
गणेश किया. एक
दिन ऐसे ही हमारे एक मित्र
जिन्हें अंतर्जाल का रोग अभी
तक नहीं लगा था, उन्हें
जब हमने पूरे सम्मान के
साथ इन तस्वीरों
को दिखाया और उसकी महिमा का
गुणगान किया, बेचारे
हमारे सामने हाथ जोड़कर खड़े
गए – बोले प्रभु हमें भी दूध
मलाई का आनंद लेने दो, यह
पकवान देखकर हमारी भी नियत
बिगड़ रही है.
हमें
हमारी काबलियत पर बड़ा गुरुर
हुआ, खैर
सबकी मनोकामना पूरी हो जाये
और हमें भी कुछ पुण्य कमाने
का मौका मिया है, अहो
भाग्य हमारे इसे कैसे छोड़ सकते
हैं. आत्मशांति
का कुछ प्रसाद मिल जाये तो
कालजे में ठंडक पड़े. जब
सफाई अभियान प्रारंभ हुआ तो
फेसबुक भला इससे पृथक कहाँ
है, दीपावली
में लक्ष्मी के आगमन के पूर्व
साफ़ सफाई की जाती है. घर
को सजाया जाता है, कुछ
लोगों द्वारा दीपावली की सफाई
अभियान की तस्वीरें लोड की
गयीं, तो
बहुतेरे नींद से जागे, दीपावली
आ गयी . अब
तो जैसे सफाई की प्रतियोगिता
प्रारंभ हो गयी. हर
किसी में होड़ लगी हुई थी, किस
तरह उम्दा चमकती सफाई करके
सितारे की भांति खुद को भी
चमका लिया जाये. भाई
कचरा अभियान को जब मिडिया ने
इतनी तवज्जो दी है तो फिर यह
दीपवाली है. इसकी
तुलना हम कैसे कर सकते हैं.
सफाई
का हर हर किसी के घर में देखने
को मिला. अचानक
घर में उठे तूफ़ान को शांति की
सास समझ ही नहीं सकी कि
क्या हुआ, रोज
बहु को बिस्तर तोड़ने और मोबाइल
मोड़ने से फुर्सत नहीं मिलती
थी, आज
अचानक कौन सा चमत्कार हुआ कि
बहुरानी झाड़ू लेकर नजर आ रही
है, बेचारी
शांति की सास को जैसे लकवा मार
गया, हाय
राम न जाने बहु के पीछे कोई
भूत प्रेत न लग गया हो. खैर
दिन भर शांति ने झाड़ू अभियान
के साथ- साथ
तस्वीर अभियान भी शुरू किया. शाम
को पति देव घर आये तो सास और
पति के साथ विजयी तस्वीर ली
गयी और अन्तत उसे विजेता घोषित
करते हुए, अपने
फेसबुकी घर की वाल पर टांग
दिया गया .. हजारो
लाइक, और
अनंत टिप्पणी, बधाई
सन्देश, का
असर ऐसा हुआ कि लोगों ने शांति
की सास को घर पर जाकर कुशल
समझदार बहु मिलने का सौभाग्य
प्राप्त हुआ. कहकर
सम्मानित किया, फिर
तो जाओ हो आभाषी संसार की , इतनी
अच्छी पाठशाला और कहीं नहीं
हो सकती है..
जगमगाते
रिश्ते, बिगडती
बातें, कहीं
बम के हथगोले, कहीं
चमकती रंगीनियाँ, ऐसी
शानदार दीपावली दुनिया की एक
ही छत की नीचे होती है. सफाई
अभियान प्रारंभ है तो मित्रो
का अभियान कैसे पीछे रह सकता
है. दोस्तों
को अमित्र करने का अभियान भी
प्रारंभ हो चुका था, अनेक
शब्द बम और फुलझड़ियों द्वारा
मित्रों को अमित्र करने की
प्यारी प्यारी चकरी, और
रोकेट छोड़े जा चुके थे, नयी
नयी लस्सी और मिठाई का रोज रोज
आनंद लेने का चस्का लोगों
को ऐसा लगा कि जब तक पटाखे न
छोड़े तब तक दीपावली कैसी, अजी
यहाँ महिला मित्र हो या पुरुष
मित्र, मनुहार
की ऐसी बंदूके व मिठाई के अनार
फूटते ही रहते हैं. खैर
यह तो है दिवाली का सफाई अभियान
जो घर घर से लेकर फेसबुक तक
कायम है,
एक
प्रश्न दिमाग में बिगड़े बल्ब
की तरह बार बार बंद चालू हो
रहा है. बम
दिमाग में जैसे फटने को
उतावले हो रहे थे. क्या
कभी किसी ने सोचा कि हम धरती
के साथ साथ अम्बर में भी कितना
कचरा जमा कर रहें है. आज
धरती कचरे के बोझ तले मर रही
है, नए
नए गृह की खोज करने में नित्य
मानव स्पेस में कचरा फेंकता
है, चाहे
यह अंतरजाल, फेसबुक
हो या ट्विटर, आखिर
इसका कचरा सेटेलाइट में इतना
ज्यादा जमा हो रहा है, उसे
कैसे साफ़ करेंगे ?ध्वनि
प्रदुषण, वायु
प्रदुषण., खाद्य
प्रदुषण.......वगैरह
न जाने दुनिया में न जाने
प्रदूषित कचरे के अनगिनत ढेर
लग चुके है, यह
कचरा कौन सी ओज वाणी साफ़
करेगी. यहाँ
दीपावली कब मनाएंगे, इस
धरती को कब सजायेंगे.
----- यह
फिरकी तेजी से हर जगह घर के
दिमाग घूमे और अपना असर
दिखाए. जय
हिन्द.
----------शशि पुरवार .
----------शशि पुरवार .
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