Sunday, November 15, 2015

फेसबुकी दीपावली



 फेसबुकी दीपावली –
       फेक का अंग्रेजी अर्थ है धोखा व फेस याने चेहरादुनिया में आभाषी दुनिया का चमकता यह चेहरा एक मृगतृष्णा के समान है जो आज सभी को प्यारा मोहित कर चुका हैनित्य समाचार की तरह सुपरफास्ट खबरे यहाँ मिलती रहती है.कहीं हँसी के ठहाकेकहीं आत्ममुग्ध तस्वीरेंकहीं प्रेमकहीं शब्दों की बंदूकेंहर तरफ एक बड़े मौल का एहसासजैसे आज दुनियाँ हमारे पास हैसाथ हैजैसे दुनियाँ बस एक मुट्ठी में समां गयी है.
            देश में कुछ समय पहले सफाई अभियान शुरू किया गया थानेता जी की वाणी का ओज और झाड़ू का बोझदोनों का  करिश्मा ऐसा था कि देखने वाले भी हक्के बक्के हो गएवायरस की तरह कचरा अभियान की बीमारी ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया थाअब जिसे देखो वह अपनी तस्वीर और झाड़ू के साथ हर जगह मौजूद थाभले की वहां कचरा न फैला होकिन्तु झाड़ू को सफ़ेद झक्क पोशाधारक के साथ तस्वीरों में तबज्जो मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआकुछ लोगों ने स्वयं कचरा वहाँ फैलाया और सफाई अभियान का श्री गणेश कियाएक दिन ऐसे ही हमारे एक मित्र जिन्हें अंतर्जाल का रोग अभी तक नहीं लगा थाउन्हें जब हमने पूरे सम्मान के साथ इन तस्वीरों को दिखाया और उसकी महिमा का गुणगान कियाबेचारे हमारे सामने हाथ जोड़कर खड़े गए – बोले प्रभु हमें भी दूध मलाई का आनंद लेने दोयह पकवान देखकर हमारी भी नियत बिगड़ रही है.
           हमें हमारी काबलियत पर बड़ा गुरुर हुआखैर सबकी मनोकामना पूरी हो जाये और हमें भी कुछ पुण्य कमाने का मौका मिया हैअहो भाग्य हमारे इसे कैसे छोड़ सकते हैंआत्मशांति का कुछ प्रसाद मिल जाये तो कालजे में ठंडक पड़ेजब सफाई अभियान प्रारंभ हुआ तो फेसबुक भला इससे पृथक कहाँ हैदीपावली में लक्ष्मी के आगमन के पूर्व साफ़ सफाई की जाती हैघर को सजाया जाता हैकुछ लोगों द्वारा दीपावली की सफाई अभियान की तस्वीरें लोड की गयींतो बहुतेरे नींद से जागेदीपावली आ गयी अब तो जैसे सफाई की प्रतियोगिता प्रारंभ हो गयीहर किसी में होड़ लगी हुई थीकिस तरह उम्दा चमकती सफाई करके सितारे की भांति खुद को भी चमका लिया जायेभाई कचरा अभियान को जब मिडिया ने इतनी तवज्जो दी है तो फिर यह दीपवाली हैइसकी तुलना हम कैसे कर सकते हैं.
                सफाई का हर हर किसी के घर में देखने को मिलाअचानक घर में उठे तूफ़ान को शांति की सास समझ ही नहीं सकी कि क्या हुआरोज बहु को बिस्तर तोड़ने और मोबाइल मोड़ने से फुर्सत नहीं मिलती थीआज अचानक कौन सा चमत्कार हुआ कि बहुरानी झाड़ू लेकर नजर आ रही हैबेचारी शांति की सास को जैसे लकवा मार गयाहाय राम न जाने बहु के पीछे कोई भूत प्रेत न लग गया होखैर दिन भर शांति ने झाड़ू अभियान के साथसाथ तस्वीर अभियान भी शुरू कियाशाम को पति देव घर आये तो सास और पति के साथ विजयी तस्वीर ली गयी और अन्तत उसे विजेता घोषित करते हुएअपने फेसबुकी घर की वाल पर टांग दिया गया .. हजारो लाइकऔर अनंत टिप्पणीबधाई सन्देशका असर ऐसा हुआ कि लोगों ने शांति की सास को घर पर जाकर कुशल समझदार बहु मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआकहकर सम्मानित कियाफिर तो जाओ हो आभाषी संसार की इतनी अच्छी पाठशाला और कहीं नहीं हो सकती है..
             जगमगाते रिश्तेबिगडती बातेंकहीं बम के हथगोलेकहीं चमकती रंगीनियाँऐसी शानदार दीपावली दुनिया की एक ही छत की नीचे होती हैसफाई अभियान प्रारंभ है तो मित्रो का अभियान कैसे पीछे रह सकता हैदोस्तों को अमित्र करने का अभियान भी प्रारंभ हो चुका थाअनेक शब्द बम और फुलझड़ियों द्वारा मित्रों को अमित्र करने की प्यारी प्यारी चकरीऔर रोकेट छोड़े जा चुके थेनयी नयी लस्सी और मिठाई का रोज रोज आनंद लेने का  चस्का लोगों को ऐसा लगा कि जब तक पटाखे न छोड़े तब तक दीपावली कैसीअजी यहाँ महिला मित्र हो या पुरुष मित्रमनुहार की ऐसी बंदूके व मिठाई के अनार फूटते ही रहते हैंखैर यह तो है दिवाली का सफाई अभियान जो घर घर से लेकर फेसबुक तक कायम है,
            एक प्रश्न दिमाग में बिगड़े बल्ब की तरह बार बार बंद चालू हो रहा हैबम दिमाग में जैसे फटने को उतावले हो रहे थेक्या कभी किसी ने सोचा कि हम धरती के साथ साथ अम्बर में भी कितना कचरा जमा कर रहें हैआज धरती कचरे के बोझ तले मर रही हैनए नए गृह की खोज करने में नित्य मानव स्पेस में कचरा फेंकता हैचाहे यह अंतरजालफेसबुक हो या  ट्विटरआखिर इसका कचरा सेटेलाइट में इतना ज्यादा जमा हो रहा हैउसे कैसे साफ़ करेंगे ?ध्वनि प्रदुषणवायु प्रदुषण., खाद्य प्रदुषण.......वगैरह न जाने दुनिया में न जाने प्रदूषित कचरे के अनगिनत  ढेर लग चुके हैयह कचरा कौन सी ओज वाणी साफ़ करेगीयहाँ दीपावली कब मनाएंगेइस धरती को कब सजायेंगे. ----- यह फिरकी तेजी से हर जगह घर के दिमाग घूमे और अपना असर दिखाएजय हिन्द.      
                      ----------शशि पुरवार .


--

8 comments:

  1. जय मां हाटेशवरी....
    आप ने लिखा...
    कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
    हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
    दिनांक 016/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर... लिंक की जा रही है...
    इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
    टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    कुलदीप ठाकुर...


    ReplyDelete
  2. दीप पर्व की शुभकामनाएँ ..आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 16 नवम्बबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. Start self publishing with leading digital publishing company and start selling more copies
    Publish Online Book and print on Demand| publish your ebook

    ReplyDelete
  4. बहुत प्रभावशाली लेख है, ऐसे लेखों से ही तो जागरूकता आएगी ,अनेक शुभकामनाएँ|
    पुष्पा मेहरा

    ReplyDelete
  5. प्रेरक प्रस्तुति - प्रशंसनीय

    ReplyDelete
  6. बहुत रोचक और सारगर्भित आलेख...

    ReplyDelete
  7. अक्षर बहुत छोटे होने के कारण लेख ठीक से पढ़ नहीं पाया ।
    विभिन्न पर्वों की शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete

आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए अनमोल है। हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। सविनय निवेदन है --शशि पुरवार

आपके ब्लॉग तक आने के लिए कृपया अपने ब्लॉग का लिंक भी साथ में पोस्ट करें
.



समीक्षा -- है न -

  शशि पुरवार  Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा  है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह  जिसमें प्रेम के विविध रं...

https://sapne-shashi.blogspot.com/

linkwith

http://sapne-shashi.blogspot.com